Shimla News: कॉलेज पहुंचकर पुराने दिनों की याद में खोए MLA कुलदीप राठौर, बोले- 'यह दिन कभी वापस लौटकर नहीं आते'
Shimla: कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि कॉलेज के दिन सबसे खूबसूरत दिन होते हैं और यह दिन कभी लौट कर वापस नहीं आते हैं. उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता पाने के लिए इस दौर में मेहनत करना बेहद जरूरी है.
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के शिमला (Shimla) के मशहूर संजौली कॉलेज ने शनिवार (25 मार्च) को अपना वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह मनाया. इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu ) ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. मुख्यमंत्री ने छात्र जीवन में इसी कॉलेज से पढ़ाई की है. इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता और ठियोग के विधायक कुलदीप सिंह राठौर (Kuldeep Singh Rathore) भी पहुंचे. वहीं अपने संबोधन के दौरान कुलदीप सिंह राठौर भावुक नजर आए. अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कुलदीप सिंह राठौर की आंखों से आंसू छलक पड़े.
कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि कॉलेज के दिन सबसे खूबसूरत दिन होते हैं और यह दिन कभी लौट कर वापस नहीं आते हैं. उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता पाने के लिए इस दौर में मेहनत करना बेहद जरूरी है. हिमाचल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने कॉलेज में एनएसयूआई की नींव स्थापित करने की भी बात कही. उन्होंने कहा कि साल 1977 में जब वो कॉलेज आए, तो उन्होंने ही इस कॉलेज में एनएसयूआई की नींव रखी. राठौर ने बताया कि उन्होंने आंदोलन के जरिए लड़ाई लड़कर हॉस्टल की मांग पूरी की.
21 साल की उम्र में बने एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष
कुलदीप राठौर ने कहा कि उन्होंने पहली बार उपाध्यक्ष का चुनाव जीता और अपने साथ पूरे पैनल को भी जीत दिलवाई. 21 साल की उम्र में राठौर को एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष बनने का मौका मिला. इसके बाद उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की और हाई कोर्ट में वकालत को अपना प्रोफेशन बनाया. कुलदीप सिंह राठौर ने कहा कि राजनीति कभी प्रोफेशन नहीं हो सकता. यह सेवा करने का जरिया है.
राठौर की सफलता में कॉलेज की शिक्षा का बड़ा योगदान
कुलदीप राठौर ने बताया कि उन्होंने कॉलेज से राजनीति की शुरुआत करते हुए हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष तक अपनी जगह बनाई. वहीं मौजूदा वक्त में वे विधायक के साथ-साथ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता भी हैं. राठौर ने कहा कि जब आज कार्यक्रम के दौरान वह प्रिंसिपल ऑफिस में आए, तो उन्हें ऐसा लगा कि वह अपने ही प्रिंसिपल के साथ बात करने के लिए पहुंचे हैं. क्योंकि अक्सर वे विरोध करने के लिए प्रिंसिपल ऑफिस का घेराव किया करते थे.