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हिमाचल कांग्रेस में खत्म होगी आपसी रार! लोकसभा चुनाव से पहले बागियों की वापसी का इंतजार

Himachal Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस से बगावत करने वाले पुराने बागियों का पार्टी में वापसी का इंतजार है. हालांकि इन बागियों की यह वापसी इतनी भी आसान नहीं है.

Loksabha Elections 2024: बीते कुछ दिनों में 'बागी और बगावत' हिमाचल प्रदेश की राजनीति के कीवर्ड बने रहे. राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से बगावत करने वाले छह तत्कालीन विधायक तो भाजपा में शामिल होकर उपचुनाव में उनके उम्मीदवार बन गए, लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से बगावत करने वाले पुराने बागियों की पार्टी में वापसी का इंतजार हो रहा है. जहां नेता अपनी पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी में शामिल हो रहे हैं, वहीं बागियों की अपनी ही पुरानी पार्टी में वापसी की उम्मीद की ही जा सकती है. 

हिमाचल कांग्रेस ने बीते दिनों जगजीवन पाल, बुद्धि सिंह और परसराम की पार्टी में वापसी करवाई. अब तीन अन्य नेताओं की वापसी की चर्चा जोरों पर है. हालांकि यह वापसी इतनी भी आसान नहीं है, क्योंकि बागियों की वजह से ही अपने इलाके के हार का सामना करने वाले नेता इन्हें पार्टी में वापस नहीं देखना चाहते हैं.

बगावत से कांग्रेस को हुआ था नुकसान 
बात अगर शिमला संसदीय क्षेत्र की की जाए, तो यहां तीन विधानसभा क्षेत्र में साल 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान तीन क्षेत्रों में बगावत की वजह से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. इनमें पांवटा साहिब, चौपाल और पच्छाद की सीट शामिल है. पांवटा साहिब से मनीष ठाकुर, पच्छाद से गंगूराम मुसाफिर और चौपाल से डॉ. सुभाष मंगलेट ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ा और इसके चलते कांग्रेस प्रत्याशियों को अपने-अपने सीट पर अपनी अपनी सीट पर हर का सामना करना पड़ा. इन तीनों नेताओं की अब पार्टी में वापसी की चर्चा है.

चौपाल में चुनाव हार गए थे संगठन महासचिव किमटा
चौपाल विधानसभा क्षेत्र से आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने वाले डॉ. सुभाष मंगलेट को 13 हजार 706 वोट मिले. कांग्रेस के रजनीश किमटा को 20 हजार 806 और भारतीय जनता पार्टी के बलवीर वर्मा को 25 हजार 873 वोट मिले. इस तरह कांग्रेस की बगावत की वजह से चौपाल विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की जीत हो गई. 

जिला शिमला के तहत आने वाली चौपाल विधानसभा सीट एकमात्र ऐसी सीट है, जहां भाजपा के विधायक को जीत मिली. अन्य सात विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के ही विधायक जीते.

AAP से चुनाव लड़े थे युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष 
इसी तरह पांवटा साहिब में कांग्रेस ने किरनेश जंग को चुनावी मैदान में उतारा, तो मनीष ठाकुर ने आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ा. किरनेश जंग को 22 हजार 412 मनीष ठाकुर को 5 हजार 090 और सुखराम चौधरी को 31 हजार 008 वोट मिले. मनीष ठाकुर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के बेहद करीबी माने जाते हैं और वह हिमाचल युवा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. बावजूद इसके उन्होंने पार्टी से बगावत कर पार्टी को नुकसान पहुंचाने का काम किया.

मुसाफिर की भी वापसी जल्द संभव
जिला सिरमौर के तहत आने वाले पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने दयाल प्यारी को चुनावी मैदान में उतारा. इस पर गंगूराम मुसाफिर ने पार्टी से बगावत कर दी. गंगूराम मुसाफिर हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री रहने के साथ विधानसभा के स्पीकर भी रहे हैं. विधानसभा चुनाव में गंगूराम मुसाफिर को 13 हजार 187, कांग्रेस की दयाल प्यारी को 17 हजार 358 और बीजेपी की रीना कश्यप को 21 हजार 215 वोट पड़े. 

इस तरह यहां भी बगावत की वजह से भारतीय जनता पार्टी को जीत मिल गई. रीना कश्यप हिमाचल प्रदेश विधानसभा में जीत हासिल करने वाली एक मात्र महिला विधायक भी हैं. गंगूराम मुसाफिर की भले ही पार्टी में वापसी न हुई हो, लेकिन वह हिमाचल कांग्रेस के कार्यालय के साथ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी आए दिन मुलाकात करते हुए नजर आते हैं. ऐसे में उनकी वापसी सबसे आसान है. विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा चुनाव में किसी भी तरह के नुकसान से बचने के लिए हिमाचल कांग्रेस जल्द ही तीनों नेताओं की वापसी करवा सकती है.

यह भी पढ़ें: 'औंधे मुंह गिरा हिमाचल BJP का ऑपरेशन लोटस', उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री का निशाना

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