Himachal News: हिमाचल में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने हिम केयर योजना में अभी हाल ही में संशोधन किया है. पूर्व सीएम जयराम ठाकुर की सरकार में शुरू की गई इस योजना का लाभ अब निजी अस्पतालों में बंद कर दिया गया है. इसके अलावा सरकारी मुलाजिम भी अब हिम केयर योजना का लाभ नहीं उठा सकते है. इसके बाद से ही विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है.


राज्य सरकार ने किया है कैबिनेट सब कमेटी का गठन
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 4 अगस्त को दिए अपने एक बयान में कहा था कि कई निजी अस्पतालों में हिम केयर योजना में गड़बड़ी पाई गई थी. इसी वजह से इसे निजी अस्पतालों से बंद करने का फैसला लिया गया. राज्य सरकार ने इस संबंध में कैबिनेट सब कमेटी का भी गठन किया हुआ है. इस कैबिनेट सब कमेटी के अध्यक्ष उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री हैं. राज्य सचिवालय में उप मुख्यमंत्री ने ही कैबिनेट सब कमेटी बैठक की अध्यक्षता भी की.


'विपक्ष फैला रहा हिम केयर योजना योजना बंद करने की अफवाह'
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि हिम केयर योजना को बंद करने की प्रदेश सरकार की कोई मंशा नहीं है. इस योजना की कुछ कमियों को दूर कर इसे और अधिक सुदृढ़ बनाया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि विपक्ष अफवाह फैला रहा है कि प्रदेश सरकार ने हिम केयर योजना को बंद कर दिया है, जो सरासर गलत है. सच्चाई यह है कि राज्य सरकार ने कुछ अनियमितताएं पाए जाने के बाद केवल निजी अस्पतालों को इस योजना के दायरे से बाहर करने का फैसला लिया है.


बिल और उपचार की लागत में बहुत ज्यादा अंतर
डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां मेडिकल बिल और उपचार की लागत में बहुत ज्यादा अंतर पाया गया. प्रदेश सरकार की ओर से अभी निजी अस्पतालों को 150 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है, जबकि सरकारी अस्पतालों को 307 करोड़ की अदायगी की जाएगी. प्रदेश सरकार इस योजना के तहत कुल 457 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी.


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से करेंगे बात- अग्निहोत्री
केंद्र सरकार की ओर से सीमा निर्धारित करने की वजह से प्रदेश में आयुष्मान भारत कार्ड का लाभ लेने वाले 5 लाख 32 हजार परिवार ही पंजीकृत हैं, जबकि प्रदेश में ऐसे 14 लाख 83 हजार परिवार हैं. इन्हें आयुष्मान भारत योजना में पंजीकृत किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार आयुष्मान भारत योजना को प्रदेश में संचालित करने के लिए हर साल सिर्फ 50 करोड़ रुपये ही देती है. इस वित्त वर्ष के शुरुआती छह महीने में ही यह 50 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा चुकी है. बाकी बचे महीनों में आयुष्मान के तहत सभी देनदारियों का भुगतान प्रदेश सरकार को करना होगा, जिसकी अनुमानित लागत 100 करोड़ रुपये से अधिक है. आयुष्मान से जुड़े व्यय के बारे में में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से बातचीत की जाएगी.


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