Himachal Pradesh: दवा कंपनियों पर हो रही सख्ती पर स्वास्थ्य मंत्री बोले- 'बर्दाश्त नहीं होगी कोई कोताही'
Drug Sample fail in Himachal: हिमाचल प्रदेश में दवा के सैंपल फेल होने के मामले में हाईकोर्ट ने जवाब तलब किया है. इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री ने सरकार की ओर से सफाई पेश की है.
Himachal Pradesh News: देशभर में हिमाचल प्रदेश की पहचान फार्मा हब के रूप में जाना जाता है. हिमाचल देश का तीसरा सबसे बड़ा दवा बनाने वाला राज्य है. पिछले कुछ समय से हिमाचल प्रदेश की दवाओं के सैंपल लगातार खराब हो रहे हैं. इसी के चलते हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकार से जवाब तलब किया है. हिमाचल प्रदेश सरकार को 23 जून के दिन प्रदेश हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करना है.
इस बीच हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनी राम शांडिल ने कहा है कि सरकार दवा कंपनियों पर सख्ती कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार नहीं चाहती कि हिमाचल प्रदेश का नाम खराब हो. हिमाचल प्रदेश की पहचान देशभर में फार्मा हब के साथ देवभूमि के रूप में भी है. ऐसे में गलत तरीके से काम कर रही कंपनियों पर सख्ती की जा रही है.
हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनीराम शांडिल ने कहा कि विभाग समय-समय पर कंपनियों की जांच करता रहता है. उन्होंने कहा कि जिन कंपनियों के काम में गड़बड़ी पाई गई, उनके रजिस्ट्रेशन भी कैंसिल किए गए हैं. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से स्पष्ट संदेश है कि दवा बनाने में किसी तरह की भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि दवा के सैंपल खराब होने के कई कारण हो सकते हैं, बावजूद इसके सरकार ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि अगर कंपनियां कोताही करती हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
हिमाचल हाईकोर्ट ने तलब किया है जवाब
गौरतलब है कि दवा के सैंपल फेल होने के मामले में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने सरकार से पूछा है कि आखिर बार-बार दवाओं के सैंपल फेल क्यों हो रहे हैं? साथ ही सरकार से यह भी पूछा गया है कि इसके सुधार के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?
जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं उनमें एस्ट्राजोल इंजेक्शन, एस्ट्रीजो टैबलेट, मिसोप्रोस्टोल टैबलेट, एमोक्सिसिलिन कैप्सूल, रोग पैरासिटामोल ओरल सस्पेंशन, बेचैनी, फिनाविव टैबलेट, पैंटोप्राजोल और झड़ने डोमपेरिडोन कैप्सूल, रैंटिडिनहाइड्रोक्लोराइड टैबलेट और लेवोसेटिरिजिन और इबुप्रोफेन टैबलेट मानकों पर खरी नहीं उतरी हैं. जानवरों में जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एनरोफ्लॉक्सासिन इंजेक्शन भी दवाओं के इस सूची में शामिल है. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के ड्रग अलर्ट में हिमाचल की 11 दवाओं समेत देशभर की 34 दवाओं के सैंपल निर्मित मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं.
ये भी पढ़ें: Shimla: हिमाचल में लाहौल और स्पीति जिले में भारी बर्फबारी, 110 लोगों को रेसक्यू करके निकाला गया