Himachal Pradesh News: शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (Indira Gandhi Medical College And Hospital) में मंगलवार (23 जनवरी) को डॉक्टरों ने काले बिल्ले लगाकर काम किया. अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे डॉक्टर मांगें पूरी न होने से सरकार से खफा हैं. इसी तरह का विरोध हिमाचल प्रदेश के अन्य अस्पतालों में देखने को मिला. अपनी मांगें पूरी न होने के विरोध में डॉक्टरों ने काम करते वक्त काले बिल्ले लगाए रखें. मौजूदा समय में अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे डॉक्टर काफी समय से नॉन प्रैक्टिस अलाउंस (Non Practising Allowance) की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा भी इनकी कई मांगें हैं. अपनी मांगों को लेकर वह बीते साल प्रदेश सरकार से भी मिल चुके हैं, लेकिन उन्हें सरकार से सिर्फ आश्वासन ही मिला है.
आईजीएमसी में एसएएमडीसीओटी के अध्यक्ष प्रो. बलवीर वर्मा (Balveer Verma) ने कहा कि संघ ने प्रदेश सरकार को अपनी मांगों को लेकर पत्र लिखा है. फिलहाल सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. मंगलवार से अस्पताल में काले बिल्ले लगाकर काम करना शुरू कर दिया है. उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी मांगों को जरुर सुनेगी और जल्द ही उन्हें वार्ता के लिए बुलाया जाएगा. अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि उनके साथ अन्याय किया जा रहा है.
डॉक्टरों के हाथ लगा केवल आश्वासन
प्रदेश के डॉक्टरों ने सालों से मिलने वाले एसीएस 4-9-14 को जल्द से जल्द बहाल करने की मांग की है. एनपीए एलाउंस 2023 में आपदा के दौरान सरकार की तरफ से बंद कर दिया गया था, जो इन्हें प्रशिक्षण के समय कुल वेतन का 20 फीसदी दिया जाता था. इसे लेकर यह पिछले साल 3 जून को सचिवालय में जाकर मिले थे. उस समय इन्हें आश्वासन दिया गया था कि आपदा के तीन महीने बाद एनपीए एलाउंस दे दिया जाएगा, लेकिन इन्हें सिर्फ आश्वासन ही हाथ लगा है.
सरकार ने डॉक्टरों का वेतन भी घटाया
3 अगस्त, 2023 को सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना के तहत विशेषज्ञों का वेतन घटाकर 33 हजार 660 कर दिया है, जबकि 27 जुलाई 2022 की अधिसूचना के तहत न्यूनतम देय 40 हजार 392 तय हुआ है. प्रदेश में पहले ही विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव है और इतने कम वेतन पर कार्य करने के बजाय विशेषज्ञों को दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ रहा है.
क्या हैं डॉक्टरों की मुख्य मांगें?
- नॉन प्रैक्टिस अलाउंस को बहाल किया जाए.
- चिकित्सकों के पास पदोन्नति के बहुत ही कम पद स्वीकृत है. इस संदर्भ में उन्हें 4-9-14 एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम दी जाती थी. इसे पुनः बहाल किया जाए.
- डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम को केंद्र सरकार की तरह लागू किया जाए.
- मेडिकल कॉलेजों में भी डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम को धरातल पर नहीं लाया जा रहा है.
- रेगुलर डीपीसी नहीं की जा रही है. रेगुलर डीपीसी न करने से मेडिकल कालेज की मान्यताओं पर भी खतरा मंडरा रहा है.
- स्वास्थ्य विभाग में स्थाई निदेशक की नियुक्ति.
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