Himachal Pradesh News: साल 1905 में चार अप्रैल के दिन कांगड़ा में जोरदार भूकंप के झटके लगे थे. यह झटके इतने जोरदार थे कि इसमें करीब 20 हजार लोगों की जान चली गई थी. रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 7.8 मापी गई थी. आज भी जब लोग कांगड़ा के भूकंप के बारे में सुनते हैं, तो उनका दिल दहल उठता है.


4 अप्रैल के दिन सुबह के वक्त आए इस भूकंप ने कांगड़ा में तबाही मचा दी थी. जिला कांगड़ा के साथ हिमाचल प्रदेश के अन्य जिले आज भी खतरे की जद में हैं. हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाके में सिस्मिक जोन चार और पांच में आते हैं. साधारण भाषा में कहा जाए, तो अगर भूकंप के झटके रिक्टर स्केल पर 5 और 6 की तीव्रता से आए, तो यहां जमकर तबाही हो सकती है. जानकार कई बार पहाड़ी इलाके में भूकंप के खतरे को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं. पहाड़ों में तेजी से हो रहा शहरीकरण इस खतरे को और भी ज्यादा बढ़ा रहा है. प्रदेश भर में पहाड़ों पर बेतरतीब बनाए जा रहे मकान खतरे को और ज्यादा बढ़ा रहे हैं. पहाड़ों में भी मैदानी इलाकों की तरह विकास के नाम पर किए जा रहे 'विनाश' से चिंता लगातार बनी हुई है.


शिमला में 5 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन


पहाड़ी इलाकों में भूकंप मैदानी इलाकों के मुकाबले कई ज्यादा भयावह हो सकते हैं. हिमाचल प्रदेश में भूकंप और अन्य आपदाओं से निपटने के लिए शिमला स्थित राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशिक्षण केंद्र में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान और एसआरसी शिमला की ओर से पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है. इस प्रशिक्षण शिविर में स्कूल के अध्यापकों और बच्चों को बुलाया गया है, ताकि इन्हें आपदा प्रबंधन के बारे में बताया जा सके. आपदा प्रबंधन कर दुर्घटना को टाला तो नहीं जा सकता, लेकिन काफी हद तक नुकसान को कम किया जा सकता है. राज्य संसाधन केंद्र शिमला के निदेशक ओम प्रकाश ने बताया कि भूकंप या अन्य आपदाओं की स्थिति में स्कूलों के बच्चों और अध्यापकों को आपदा से बचाव की जानकारी दी जा रही है. कार्यशाला के जरिए यह कोशिश है कि बच्चों को आपदा प्रबंधन के बारे में जानकारी दी जा सके और आपदा के वक्त आने वाले खतरे को कम किया जाए. उन्होंने बताया कि बीते पांच साल में ही 15 हजार लोगों की जान अलग-अलग आपदाओं में जा चुकी है.


बड़े भूकंप के झटकों से नुकसान


4 अप्रैल 1905, कांगड़ा, 7.8, 20 हजार लोगों की मौत


1 जून 1945, चंबा, 6.5


19 जनवरी 1975, किन्नौर, 6.8, 60 लोगों की मौत


26 अप्रैल 1986,धर्मशाला, 5.5, 6 लोगों की मौत


1 अप्रैल 1994, चंबा, 4.5, कई घरों को नुकसान


24 मार्च 1995, चंबा, 4.9, कई घरों को नुकसान


9 जुलाई 1997, सुंदरनगर, 5.0, एक हजार घरों को नुकसान


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