Earthquake in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में रविवार सुबह 10 बजकर 2 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (National Center for Seismology) के मुताबिक भूकंप आज सुबह महसूस किए गए. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 2.8 दर्ज की गई. इसमें किसी के भी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं है.
बता दें कि, हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के बाद भूस्खलन से भारी नुकसान के साथ कई लोगों की जान चली गई है. एचपी सरकार द्वारा राहत व बचाव कार्य युद्धस्तर से किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन और विभिन्न स्थानों पर आई दरारों के पीछे अप्रत्यक्ष रूप से अत्यंत सूक्ष्म भूकंप की भी भूमिका है, जो इस संवेदनशील इलाके में बड़ी संख्या में दर्ज किए जा रहे हैं.
बहुमंजिला निर्माण रोकने की सलाह
वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूकंप जैसे प्राकृतिक खतरों के साथ मानवजनित गतिविधियां हिमालयी क्षेत्र में भूस्खलन जैसी आपदा को बढ़ा रही हैं. भूस्खलन जैसी परिस्थितियां पैदा करने के लिए सूक्ष्म भूकंप धीमे जहर जैसा है. यदि यहां बड़े और बहुमंजिले निर्माण को न रोका गया तो ऐसी आपदाएं भविष्य में और बढ़ेंगी. इसलिए निर्माण के लिए कच्ची तीव्र ढलान वाली जगह से बचें, भूकंपरोधी निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाए.
क्यों आता है भूकंप?
धरती के अंदर सात टेक्टोनिक प्लेट्स हैं. ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं. जब ये प्लेट आपस में टकराती हैं, रगड़ती हैं. एकदूसरे के ऊपर चढ़ती या उनसे दूर जाती हैं, तब जमीन हिलने लगती है. इसे ही भूकंप कहते हैं. भूकंप को नापने के लिए रिक्टर पैमाने का इस्तेमाल करते हैं. जिसे रिक्टर पैमाने का इस्तेमाल करते हैं. जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल कहते हैं.
रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल 1 से 9 तक होती है. भूकंप की तीव्रता को उसके केंद्र यानी एपीसेंटर से नापा जाता है. यानी उस केंद्र से निकलने वाली ऊर्जा को इसी स्केल पर मापा जाता है. 1 यानी कम तीव्रता की ऊर्जा निकल रही है. 9 यानी सबसे ज्यादा. बेहद भयावह और तबाही वाली लहर. ये दूर जाते-जाते कमजोर होती जाती हैं. अगर रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 7 दिखती है तो उसके आसपास के 40 किलोमीटर के दायरे में तेज झटका होता है.