Himachal Pradesh News: केंद्रीय वित्त पोषण पर चलने वाले हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती नजर आ रही है. हिमाचल प्रदेश की गाड़ी बिना कर्ज के आगे नहीं बढ़ रही है. दिसंबर में सत्ता परिवर्तन के बाद तीन महीने के छोटे से अंतराल में ही कांग्रेस सरकार (Congress Government) को दूसरी बार कर्ज लेना पड़ रहा है. इससे पहले जनवरी महीने में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) के नेतृत्व वाली सरकार 1 हजार 500 करोड़ का कर्ज ले चुकी है. अब सरकार दो हजार करोड़ का एक और कर्ज लेने जा रही है. कांग्रेस सरकार यह कर्ज दो किस्तों में लेगी. इसमें 1 हजार 300 करोड़ रुपए का कर्ज 15 साल के लिए, जबकि 700 करोड़ रुपए का दूसरा कर्ज नौ साल के लिए लिया जाएगा. प्रदेश सरकार के खाते में यह रकम 22 फरवरी तक जमा होने की उम्मीद है.


50 फीसदी से कम विकास के लिए 
हिमाचल प्रदेश में ज्यादातर पैसा वेतन और पेंशन देने में ही निकल जा रहा है. 100 रुपए में से सैलरी पर 24.31 रुपए, पेंशन पर 14.11 रुपए खर्च हो रहे हैं जबकि विकास कार्यों के लिए केवल 43.44 बच रहे हैं. हिमाचल प्रदेश सरकार अपनी जीडीपी के 4 फीसदी हिस्से का कर्ज ले सकती है, लेकिन सरकार ने शीतकालीन सत्र में इस लिमिट को छह फीसदी तक बढ़ा दिया. हालांकि यह बिल तत्कालीन बीजेपी सरकार के वक्त आ गया था.


आने वाले वक्त में बढ़ेगी परेशानी
केंद्रीय बजट में नए वर्ष से अपनी जीडीपी का केवल 3.5 फीसदी लेने का प्रावधान है. ऐसे में आने वाले वक्त में हिमाचल प्रदेश की परेशानियों और भी ज्यादा बढ़ सकती हैं. हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने से पहले कई बड़े वादे भी किए हैं. सरकार ने पहली कैबिनेट में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली की घोषणा की है. इसमें भी सरकार को करीब 800 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला है.


हालात गंभीर, कैसे पूरे होंगे वादे?
हिमाचल का कर्ज आने वाले सालों में और बढ़ता चला जाएगा. इसके अलावा सरकार ने एक लाख बेरोजगार युवाओं को 680 करोड़ रुपए का स्टार्ट अप लोन, 300 यूनिट मुफ्त बिजली और 18 से 59 साल की महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपए देने का वादा किया है. सरकार को अपनी इन गारंटियों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त खर्च करना होगा. इससे हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर और अधिक बुरा असर पड़ेगा.


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