हिमाचल में गहराया आर्थिक संकट, कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी, पेंशन का भी बढ़ा इंतजार
Himachal Pradesh Pension: हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को वेतन के लिए अभी और इंतजार करना होगा. कर्मचारियों का वेतन 5 तारीख के बाद ही खाते में आएगा.
Himachal Pradesh Economic Crisis: हिमाचल प्रदेश के आर्थिक हालात किसी से छिपे नहीं है. राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब सरकारी कर्मचारियों का वेतन महीने की पहली तारीख को नहीं मिला. माना जा रहा है कि कर्मचारियों को वेतन के लिए 5 सितंबर तक का इंतजार करना होगा.
हिमाचल प्रदेश सरकार को केंद्र से रेवेन्यू डिफिसिट ग्रांट के 520 करोड़ रुपये आने हैं. 5 सितंबर को ही राज्य सरकार की ट्रेजरी में यह धनराशि आएगी. इसके बाद ही कर्मचारियों को वेतन मिल सकेगा. हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को हर महीने वेतन देने के लिए राज्य सरकार को 1 हजार 200 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसी तरह पेंशन देने के लिए हर महीने 800 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होती है.
वेतन और पेंशन पर 2 हजार करोड़ रुपये का खर्च
कुल-मिलाकर यह खर्च 2 हजार करोड़ रुपये बनता है. फिलहाल, राज्य सरकार की ओर से वेतन 5 तारीख के बाद ही दिया जाएगा. कर्मचारी नेता संजीव शर्मा का दावा है कि राज्य सरकार की ओर से ट्रेजरी को यह कहा गया है कि वेतन कर्मचारियों को अभी वेतन न दिया जाए. हालांकि, इस तरह के कोई लिखित आदेश फिलहाल सामने नहीं आए हैं.
हिमाचल में क्यों आया ऐसा आर्थिक संकट?
हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट की चर्चा इन दिनों पूरे देश भर में हो रही है. ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल है कि राज्य में ऐसा आर्थिक संकट पैदा क्यों हो गया है? इसके पीछे की वजह देखें, तो रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में टेपर फॉर्मूला की वजह से राज्य सरकार को नुकसान हो रहा है.
इस फॉर्मूले के मुताबिक, केंद्र से मिलने वाली ग्रांट हर महीने कम होती है. इसके अलावा, लोन लिमिट में भी कटौती की गई है. साल 2024-25 में रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट में 1 हजार 800 करोड़ रुपये की कटौती हुई. आने वाले समय में यह परेशानी और भी ज्यादा बढ़ेगी.
OPS बहाली से खिसक गया 2 हजार करोड़ रुपये लोन
आर्थिक हालत खराब होने की एक और वजह ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली भी है. इसकी वजह से नई पेंशन स्कीम के राज्य के कंट्रीब्यूशन के कारण मिलने वाला 2 हजार करोड़ का लोन भी राज्य सरकार को अब नहीं मिल पा रहा है.
इसकी वजह से भी राज्य के खजाने पर बोझ आ गया है. अब हिमाचल प्रदेश सरकार के हाथ में कोई ज्यादा विकल्प नहीं है. ऐसे में वेतन के लिए 6 सितंबर और पेंशन के लिए कुछ ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा.
हिमाचल की लोन लिमिट कितनी है?
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने 15 दिसंबर 2022 से लेकर 31 जुलाई 2024 तक कुल 21 हजार 366 करोड़ रुपए का कर्ज लिया. इनमें से 5 हजार 864 करोड़ रुपये का कर्ज वापस भी किया गया है. यही नहीं, राज्य सरकार ने जीएफ के अगेंस्ट भी 1 जनवरी, 2023 से 31 जुलाई, 2024 तक 2 हजार 810 करोड़ रुपये का लोन लिया है.
जल्द ही हिमाचल प्रदेश के कर्ज का बोझ एक लाख करोड़ रुपये के पार होने वाला है. हिमाचल प्रदेश सरकार को हर महीने टैक्स और नॉन टैक्स रेवेन्यू से करीब 1 हजार 200 करोड़ रुपये की कमाई होती है. इस तरह रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के 520 करोड़ रुपये और राज्य सरकार के अपने 1200 करोड़ रुपये के रेवेन्यू को मिलाकर वेतन और पेंशन दिया जाएगा. आने वाले महीने में यह परेशानी और भी ज्यादा बढ़ाने वाली है.
आने वाले वक्त में भी कम नहीं होंगी मुश्किलें
हिमाचल प्रदेश सरकार के पास इस वित्त वर्ष में दिसंबर तक लोन लिमिट 6 घर 200 करोड़ रुपये है. इनमें से 3 हजार 900 करोड़ रुपये लोन लिया जा चुका है. अब सिर्फ 2 हजार 300 करोड़ की लिमिट बची है. इसी से राज्य सरकार को दिसंबर महीने तक का काम चलाना है.
दिसंबर से लेकर मार्च तक वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के लिए केंद्र से अलग लोन लिमिट सैंक्शन होगी. ऐसे में राज्य सरकार के समक्ष अब सितंबर के बाद अक्टूबर और नवंबर महीने का वेतन और पेंशन देने के लिए भी कठिनाई होगी.
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