Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में गठिया (Arthritis) से करीब 8 फ़ीसदी लोग प्रभावित हैं. आम तौर पर गठिया को पहले बुढ़ापे की बीमारी कहा जाता था, लेकिन आज-कल यह बीमारी बच्चों में भी देखने को मिल रही है. रोजाना हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग अस्पतालों में आठ फीसदी से अधिक लोग गठिया का इलाज करवाने के लिए पहुंच रहे हैं. शिमला (Shimla) के आईजीएमसी अस्पताल (IGMS Hospital) में लगभग 200 से 300 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.


गठिया को पहले बुढ़ापे की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब छोटे बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. हिमाचल प्रदेश के आईजीएमसी अस्पताल में इस समय करीब 100 से अधिक बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं. बच्चों में होने वाले गठिया को जूविनाइल एडियोपैथिक आर्थराइटिस कहा जाता है. हिमाचल प्रदेश में बच्चे, बुजुर्ग, युवा, महिलाएं और पुरुष गठिया की बीमारी की चपेट में हैं.


क्या है गठिया संबंधित रोग?


आईजीएमसी के मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विकास बताते हैं कि गठिया एक सूजन संबंधित डिसऑर्डर है, जो शरीर में हड्डियों के जोड़ों के आसपास वाले टिश्यूज को प्रभावित करता है. गठिया से पीड़ित लोगों को जोड़ों में दर्द, कड़कपन और चलने में परेशानी होती है. डॉ. विकास का मानना है कि गठिया होने पर विशेषज्ञ से इलाज करवाया जा सकता है. यह डायबिटीज, थाइरॉएड, हाइपरटेंशन की तरह ही होता है. इस बीमारी को दवाई से कंट्रोल किया जा सकता है और इसका उपचार भी संभव है. गठिया होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाई लेनी चाहिए. 


हर साल लाखों लोग होते हैं पीड़ित


गठिया एक सामान्य बीमारी है, जिससे हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं. गठिया 100 से अधिक प्रकार का होता है. इसमें सबसे आम आर्थराइटिस और रूमेटोइड है. रूमेटोइड गठिया एंकिलॉजिंग, स्पॉन्डिलाइटिस जैसी सूजन से संबंधित है. वहीं, अर्थराइटिस एक सामान्य प्रकार का गठिया है, जिससे हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं. गठिया कुछ लोगों में सामान्य से अधिक होता है. वहीं कुछ लोगों में यह जेनेटिक भी पाया जाता है.


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