Himachal Pradesh Election 2022: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतदान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. अब सभी को 8 दिसंबर को आने वाले नतीजों का इंतजार है. इस बार कई सीटों पर आजाद प्रत्याशियों की स्थिति भी बेहद मजबूत मानी जा रही है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कई आजाद प्रत्याशी चुनाव जीतकर 14वीं विधानसभा का हिस्सा बन सकते हैं, लेकिन बात अगर हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बीते 50 साल के इतिहास की करें तो अब तक सिर्फ 46 निर्दलीय प्रत्याशी ही चुनाव जीत सके हैं.
साल 1972 में जीते थे आठ आजाद प्रत्याशी
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के इतिहास में साल 1972 में सबसे ज्यादा आठ आजाद प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. उस समय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को 33.26 फ़ीसदी वोट मिले थे. साल 1977 में आजाद प्रत्याशियों को 23 फ़ीसदी वोट पड़े और छह प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे. साल 1982 में आजाद प्रत्याशियों को 16.38% वोट पड़े और इस साल भी छह आजाद प्रत्याशी विधानसभा पहुंचे. साल 1985 में आजाद प्रत्याशियों को मिलने वाले वोट केवल 10 फीसदी रह गए और दो प्रत्याशी ही विधानसभा पहुंच सके. साल 1990 में यह वोट शेयर घटकर 6.74 फ़ीसदी हुआ और सिर्फ एक आजाद प्रत्याशी विधानसभा पहुंचा. साल 1993 में आजाद प्रत्याशियों को 11.54 फीसदी वोट मिले और इस बार संख्या बढ़कर सात हो गई.
साल 1998 में तीसरा मोर्चा उभरा
साल 1998 का विधानसभा चुनाव अब तक का सबसे ऐतिहासिक चुनाव रहा. इस विधानसभा चुनाव में पहली बार तीसरा मोर्चा उभर कर सामने आया. हालांकि इसकी वजह तीसरे मोर्चे की स्वीकार्यता नहीं बल्कि पंडित सुखराम का अपना निजी वर्चस्व रहा. साल 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस के पांच विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे और आजाद प्रत्याशी के तौर पर केवल रमेश धवाला चुनाव जीते. उस वक्त चुनाव लड़ रहे कुल 52 आजाद प्रत्याशियों को कुल 8.43 फ़ीसदी वोट मिले थे. साल 1998 में कुल 62 सीट पर चुनाव लड़ने वाली हिमाचल विकास कांग्रेस को 2 लाख 45 हजार 584 वोट मिले थे.
साल 2012 में फिर बढ़ा आजाद प्रत्याशियों का मत प्रतिशत
साल 2003 के विधानसभा चुनाव में आजाद प्रत्याशियों को 16.2 7 फ़ीसदी वोट मिले और पांच प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे. साल 2007 के विधानसभा चुनाव में आजाद प्रत्याशियों को 14.3 4 फ़ीसदी वोट मिले और तीन आजाद प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में आजाद प्रत्याशियों को 15.87 फ़ीसदी मत प्रतिशत मिला और पांच विधायक 12 वीं विधानसभा का हिस्सा बने. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में आजाद प्रत्याशियों का वोट शेयर घटकर आधा रह गया. इस विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को 7.94 फ़ीसदी वोट पड़े और केवल दो ही आजाद प्रत्याशी ही विधायक बन सके.
अब सभी को 8 दिसंबर का इंतजार
14वीं विधानसभा के गठन के लिए 12 नवंबर को हुए मतदान के बाद सभी को 8 दिसंबर को आने वाले नतीजों का इंतजार है. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कई आजाद प्रत्याशी मजबूत स्थिति में हैं. इन आजाद प्रत्याशियों के जीतकर विधानसभा पहुंचने की भी प्रबल संभावना है. सभी की नजरें कांग्रेस-बीजेपी से बागी होकर आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों पर है. इसके अलावा मैदान में डटे अन्य प्रत्याशी भी कांग्रेस-भाजपा का खेल बिगाड़ने और बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं.