Himachal Pradesh Famous Temple: हिमाचल प्रदेश की पवित्र-पावन भूमि देवभूमि कहलाती है. यहां के मंदिरों की मान्यता देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी है. जिला कांगड़ा के बनखंडी में स्थित मां बगलामुखी (Maa Baglamukhi) का द्वार देश-विदेश के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है. कहा जाता है कि जो भी सच्चे दिल से मां बगलामुखी के इस पवित्र धाम में अपना शीश नवाता है, उसे मन चाहा फल मिल जाता है. कोर्ट-कचहरी के मामलों से छुटकारा पाने के लिए शत्रु नाशिनी मां बगलामुखी की विशेष मान्यता है.
पितांबरी देवी भी कहलाती हैं मां बगलामुखी
जिला कांगड़ा स्थित मां बगलामुखी का मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है. पांडुलिपियों में मां का जिस रूप में वर्णन है, उसी स्वरूप में मां बगलामुखी यहां विराजमान हैं. कहा जाता है कि मां हल्दी रंग के जल में प्रकट हुई थी. हल्दी के पीले रंग की वजह से उन्हें पितांबरा देवी भी कहा जाता है. मां को पीला रंग अति प्रिय है. इसलिए यहां पूजन के लिए पीली सामग्री का ही इस्तेमाल किया जाता है.
कोर्ट-कचहरी के मामलों से मिलता है छुटकारा
मां बगलामुखी भक्तों के भय को दूर कर शत्रु और उनकी बुरी शक्तियों का नाश करती है. देवी बगलामुखी में संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का समावेश है. शत्रु नाशिनी देवी मां बगलामुखी मंदिर में मुकदमों में फंसे लोग पारिवारिक कलह और जमीन विवाद को सुलझाने के लिए आते हैं. श्रद्धालु यहां मंदिर में शत्रु नाश हवन कराते हैं. इस हवन से शत्रुओं का नाश होता है और भक्तों का जीवन बाधा मुक्त बन जाता है.
यह बड़ी हस्तियां भी मां बगलामुखी की भक्त
प्रणब मुखर्जी, सांसद अमर सिंह जया प्रदा, जगदीश टाइटलर, भूपेंद्र हुड्डा, नादिरा बब्बर, बॉलीवुड अभिनेता गोविंदा, गुरदास मान, शिल्पा शेट्टी, राज कुंद्रा, कपिल शर्मा और सनी देओल जैसी बड़ी हस्तियां भी मां के इस पावन दर के भक्त हैं. ऑल इंडिया एंटी टेरेरिस्ट फ्रंट के अध्यक्ष मनिंदर सिंह बिट्टा ने मां के सामने उन पर एक फिल्म बनाए जाने की मनोकामना मांगी थी. अगले ही महीने अभिनेता अक्षय कुमार ने मनिंदर सिंह बिट्टा की जीवन पर फिल्म बनाने की घोषणा कर दी. मां बगलामुखी के पावन धरा पर मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंदर जुगनाथ अपनी पत्नी के साथ तांत्रिक पूजा और हवन कर चुके हैं.
आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने भी मां के दर पर नवाया था शीश
विश्व भर में आयरन लेडी के नाम से मशहूर भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने साल 1977 में हार के बाद मां बगलामुखी के दर पर तांत्रिक अनुष्ठान करवाया था. इंदिरा गांधी पर भी मां की कृपा ऐसी हुई कि साल 1980 में ही इंदिरा गांधी ने सत्ता में वापसी कर ली और वे फिर देश की प्रधानमंत्री बनी.
कैसे हुई थी मां बगलामुखी की उत्पत्ति?
सृष्टि के रचयिता कहे जाने वाले भगवान ब्रह्मा का ग्रंथ एक राक्षस ने चुरा लिया. ग्रंथ चुराने के बाद राक्षस पाताल में जाकर छिप गया. राक्षस को वरदान प्राप्त था कि मानव और देवता उसे पानी में नहीं मार सकते. ऐसे में भगवान ब्रह्मा ने मां भगवती का जाप किया और इससे मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई. मां ने बगुला का रूप धारण कर राक्षस का वध किया और भगवान ब्रह्मा को ग्रंथ वापस लौटा दिया.
त्रेता युग से कलयुग तक मान्यता बरकरार
पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां का मंदिर बनवाया था और इसमें पूजा अर्चना की. त्रेता युग में मां बगलामुखी को रावण के इष्ट देवी के रूप में पूजा जाता था. रावण ने शत्रुओं का नाश करने के लिए मां बगलामुखी की पूजा अर्चना की थी. लंका विजय के बाद जब प्रभु श्री राम को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने भी मां बगलामुखी को की पूजा की थी. त्रेता युग से कलयुग तक मां बगलामुखी की मान्यता आज भी बरकरार है. मां बगलामुखी शत्रु का नाश कर अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देती है.