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कर्ज के बोझ तले दबे हिमाचल में गहराया वित्तीय संकट! CAG ने दिया रेड सिग्नल, सैलरी के लिए खर्च करनी होगी भारी राशि
Economic crisis in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार की मुश्किलें आने वाले दिनों में बढ़ सकती हैं, इसकी वजह राज्य पर बढ़ता कर्ज का बोझ है, दूसरी तरफ सरकार का खजाना खाली है.
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Himachal Pradesh Financial Crisis: अपने विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से केंद्र सरकार पर निर्भर हिमाचल प्रदेश की परेशानी बढ़ती हुई नजर आ रही है. कर्ज के बोझ तले दबे हिमाचल प्रदेश में आने वाला वक्त में वित्तीय संकट बढ़ सकता है.
हिमाचल प्रदेश सरकार पर मौजूदा वक्त में 85 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज हो चुका है. हालत यह है कि कर्ज चुकाने के लिए भी राज्य सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है. अगले वित्तीय वर्ष से पहले ही कर्ज का आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा.
उम्मीद जताई जा रही है कि अगर हिमाचल प्रदेश सरकार को 16वें वित्त आयोग से रिवेन्यू डिफिसिट ग्रांट मिला, तो इससे प्रदेश को राहत जरूर मिल सकती है.
वेतन पर 20 हजार 639 करोड़ रुपये होंगे खर्च
हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़ता चला जा रहा है. इसका इशारा एक दशक से भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India- CAG) लंबे वक्त से कर रहा है. CAG ने डेब्ट ट्रैप की तरफ इशारा किया था.
वर्ष 2026-27 में हिमाचल प्रदेश में सरकार को कर्मचारियों का वेतन देने के लिए ही 20 हजार 639 करोड़ रुपये खर्च करने हैं. चिंता की बात यह है कि वेतन आयोग के सिफारिश के बाद राज्य सरकार के सिर पर आए एरियर की लॉयबिलिटी आउट ऑफ कंट्रोल होती चली जाएगी.
हालांकि बीते कुछ वक्त में सरकारी नौकरी में कर्मचारियों की संख्या घटी है, लेकिन बावजूद इसके अनुबंध अवधि को पेंशन के लिए दिए जाने वाले बकाया एरियर पर राज्य सरकार को ज्यादा धन खर्चना होगा. हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में वित्त आयोग के प्रतिनिधिमंडल के सामने भी यह तथ्य रखे हैं.
शिक्षा और स्वास्थ्य में सबसे ज्यादा है खर्च
हिमाचल प्रदेश सरकार ने 16वें वित्त आयोग के सामने रिपोर्ट पेश की है. वित्तीय मेमोरेंडम में हिमाचल सरकार ने कहा है कि नए वेतन आयोग के बाद से सरकारी कर्मचारियों के वेतन का खर्च 59 फीसदी तक बढ़ गया है.
राज्य सरकार में शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की संख्या सबसे ज्यादा है. इन्हीं दो विभागों में कर्मचारियों को सबसे ज्यादा वेतन देने पर राज्य सरकार को खर्च करना पड़ रहा है. शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों पर साल 2017-18 में 5 हजार 615 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
हिमाचल सरकार को 16वें वित्त आयोग से उम्मीदें?
वर्ष 2018-19 में यह बढ़कर 5 हजार 903 करोड़ रुपये हो गया. साल 2019-20 में 6 हजार 299 करोड़ और साल 2020-21 में 6 हजार 476 करोड़ रुपये का खर्च हुआ. वर्ष 2025-26 में इस वेतन पर 9 हजार 361 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.
वित्त वर्ष 2027-28 में ये खर्च 22 हजार 502 करोड़ सालाना, फिर वर्ष 2028-29 में 24 हजार 145 करोड़, वर्ष 2029-30 में 26 हजार 261 करोड़ रुपए हो जाएगा. वर्ष 2030-31 में सरकारी कर्मियों के वेतन का खर्च सालाना 28 हजार 354 करोड़ रुपए हो जाएगा.
ऐसे में हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए आने वाला वक्त परेशानियों से भरा रहने वाला है. सरकार को 16वें वित्त आयोग से मिलने वाले रिवेन्यू डिफिसिट ग्रांट में राहत की उम्मीद है.
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