Himachal Pradesh First CM: भले ही राजनीति का प्रेम से कोई लेना-देना न हो, लेकिन राजनीति सियासतदानों के प्रेम के किस्सों से भरी पड़ी है. आज हम आपको एक ऐसे ही मुख्यमंत्री की प्यार-मोहब्बत का किस्सा बताएंगे, जिन्होंने समाज की रूढ़िवादी बेड़ियों को तोड़ते हुए अपने प्यार को मुकाम तक पहुंचाया. यह कहानी है हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार (Dr. Yashwant Singh Parmar) की. मुख्यमंत्री रहते हुए उनकी की बारात मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास ओक ओवर से निकली थी. खास बात ये है कि इस बारात में उनके बच्चे और पोते भी शामिल हुए थे.


एकाकीपन में जी रहे थे डॉ. परमार


यह खास शादी थी हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार की. बात साल 1974 की है. हिमाचल निर्माता कहे जाने वाले डॉ. यशवंत सिंह परमार अपनी पहली धर्म पत्नी चंद्रावती परमार की मृत्यु के बाद एकल जीवन जी रहे थे. उनके चारों बेटे भी अपने-अपने कामों में व्यस्त रहा करते और परमार का निजी जीवन में एकाकीपन बढ़ता जा रहा था.


65 की उम्र में सीएम को 55 वर्षीय सांसद से हुआ प्रेम


इस बीच 65 साल के डॉ. परमार को 55 साल की महिला राज्यसभा सांसद सत्यवती डांग से प्यार हो गया. सत्यवती डांग भी अपने पति की असमय मृत्यु के कारण अकेले जीवन बिता रही थीं. पति की मौत के बाद वे पंजाब से अपनी दोनों बेटियों के साथ हिमाचल वापस आकर यहां की राजनीति में सक्रिय हो गई थी. सत्यवती डांस साल 1964 से साल 1969 तक हिमाचल कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहीं.


बेटे के कहने पर शादी के लिए हुए थे राजी


पहले पहल तो दोनों के प्रेम के किस्से दबी जुबान में ही सुनने को मिलते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह बात बढ़ती चली गई. इसके बाद डॉ. यशवंत सिंह परमार और सत्यवती डांग के बच्चों ने दोनों की शादी कराने के बारे में विचार किया. डॉ. यशवंत सिंह परमार के बड़े बेटे लव परमार ने उनके सामने डांग से शादी प्रस्ताव रखा, जिसे डॉ. परमार ने ठुकरा दिया. बेटे लव परमार ने हार नहीं मानी और उन्होंने इस दिशा में अपना प्रयास जारी रखा. आखिरकार लव परमार को जीत मिली और काफी वक्त तक विचार करने के बाद यशवंत सिंह परमार सत्यवती डांग से शादी करने के लिए राजी हो गए. इस शादी के लिए सत्यवती डांग के बच्चों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.


सीएम आवास से निकली थी बारात


दोनों नेताओं की यह शादी बेहद खास थी. मुख्यमंत्री की बारात आधिकारिक आवास ओक ओवर से निकलकर सत्यवती डांग के आवास ग्रैंड लॉज पहुंची. हिमाचल निर्माता यशवंत सिंह परमार और सत्यवती डांग की खास शादी में उनके बच्चे और पोते भी शामिल हुए. इस अनोखी शादी की गवाह हिमाचल प्रदेश की जनता भी बनी. डॉ. परमार ने अपने प्रेम को मुकाम तक भी पहुंचाया और साथ ही रूढ़िवादी सोच को भी तोड़ने का काम किया. जहां पति की मौत के बाद महिला के जीवन को खत्म समझ लिया जाता है. हालांकि, दोनों नेताओं की शादी के सात साल बाद ही डॉ. परमार का निधन हो गया और सत्यवती डांग एक बार फिर अकेली हो गईं.


सत्यवती ने ये बताई थी प्रेम की कहानी


डॉ. यशवंत सिंह परमार और सत्यवती डांग की शादी का दिलचस्प किस्सा सुनाते हुए वरिष्ठ पत्रकार संजीव शर्मा बताते हैं कि एक बार उन्होंने सत्यवती डांग से परमार के साथ उनके प्रेम के बारे में पूछा. संजीव शर्मा ने सत्यवती से पूछा कि उन्हें यशवंत सिंह परमार से प्रेम कैसे हुआ था? इस पर सत्यवती डांग में उन्हें जवाब दिया 'आप अभी हम दोनों के प्रेम को समझने के लिए बहुत छोटे हैं. हम दोनों का प्रेम शाश्वत है'.


शाश्वत प्रेम को जनता आज भी करती है याद


2 मई 1981 को डॉ. यशवंत सिंह परमार की मृत्यु के कुछ समय बाद सत्यवती डांग अपने बच्चों के साथ अमेरिका चली गई. अपने जीवन के अंतिम दिनों में सत्यवती डांग की तबीयत खराब रहने लगी. इसके बाद वे अमेरिका से वापस आकर शिमला रहने लगीं. शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में ही उन्होंने 25 फरवरी 2010 को अंतिम सांस ली थी. डॉ. यशवंत सिंह परमार और सत्यवती डांग के इस शाश्वत प्रेम को आज भी लोग पवित्रता के साथ याद करते हैं.


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