Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में निजी कंपनियों के शोषण के खिलाफ वोकेशनल टीचर्स धरने पर बैठे हैं. शिमला में रात के वक्त कड़कड़ाती ठंड के बीच भी इन टीचर्स के हौसले पस्त नहीं हुए हैं. महिला टीचर्स हड्डियों को कंपा देने वाली ठंड में अपने बच्चों के साथ धरना स्थल पर बैठी हुई हैं.


यह धरना हिमाचल प्रदेश वोकेशनल टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले हो रहा है. हिमाचल प्रदेश के करीब 1 हजार 100 स्कूलों में बच्चों को स्किल एजुकेशन दे रहे यह शिक्षक बीते करीब 11 सालों से कंपनी के शोषण से परेशान होकर अब सड़कों पर बैठने के लिए मजबूर हुए हैं.


मुलाकात करने पहुंचे पूर्व CM जयराम ठाकुर


शिमला की अंबेडकर चौक पर धरने पर बैठे वोकेशनल टीचर से मुलाकात करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी पहुंचे. मंडी से वापस लौटने के बाद मुख्यमंत्री धरनास्थल पर पहुंचे और वोकेशनल टीचर्स की परेशानी जानी. पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने एसोसिएशन को आश्वासन दिया है कि वह भी सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे.


उन्होंने कहा कि वह पूरी मजबूती के साथ वोकेशनल टीचर्स के साथ खड़े हुए हैं. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने महिला शिक्षकों से आग्रह किया कि वह धरनास्थल पर छोटे बच्चों को न लेकर आएं. साथ ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी उन्होंने मांग उठाई है कि इस पूरे मसले पर गंभीरता से विचार करें.


कंपनी के काम को खत्म कर स्थाई पॉलिसी की मांग


हिमाचल प्रदेश वोकेशनल टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विनी ढटवलिया ने कहा कि राज्य में वोकेशनल टीचर्स की संख्या 2 हजार 174 है. यह अध्यापक बीते 11 सालों से राज्य के अलग-अलग हिस्सों में बच्चों को स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं.


वोकेशनल टीचर्स हिमाचल प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में भी सेवाएं देते हैं. अश्वनी ढटवलिया ने कहा कि जिन कंपनियों के तहत वोकेशनल टीचर्स को भर्ती किया जाता है, वह काम के नाम पर उनका शोषण करने का काम कर रही हैं. ऐसे में राज्य सरकार से मांग उठा रहे हैं कि सभी वोकेशनल टीचर्स के लिए स्थाई पॉलिसी तैयार की जाए और कंपनी के काम को पूरी तरह खत्म किया जाए. राज्य सरकार प्रत्यक्ष तौर पर वोकेशनल टीचर्स को विभाग में सम्मिलित करे और कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाया जाए.