Himachal Pradesh Politics News: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री के चयन के लिए चली खींचतान होली लॉज बनाम सुखविंदर सिंह सुक्खू बन गई थी. समर्थकों का एक धड़ा होली लॉज को सातवीं बार मौका देने की बात कर रहा था, तो वहीं एक धड़ा आम परिवार से उठे सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ खड़ा था. होली लॉज और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के बीच देखने को मिली इस सियासी जंग ने लोगों को वह समय याद दिला दिया, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और तत्कालीन हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के बीच आए दिन विवाद होते रहते थे.


लोकसभा चुनाव में हार के बाद हुई थी बयानबाजी


वीरभद्र सिंह और सुक्खू के बीच विवाद की सबसे बड़ी वजह सुक्खू का वीरभद्र सिंह के परस्पर विरोधी गुट से संबंध रखना था. सुखविंदर सिंह सुक्खू पंडित सुखराम, आनंद शर्मा और विद्या स्टोक्स खेमे के माने जाते रहे. यह गुट हमेशा वीरभद्र सिंह के विरोध में रहता था. साल 2012 में सुखविंदर सिंह सुक्खू जब नादौन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए, तब उन्हें आलाकमान ने हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान दी. इसके बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू और वीरभद्र सिंह के बीच आए दिन विवाद होते रहते थे. साल 2014 में मोदी लहर के दौरान जब कांग्रेस को चारों लोकसभा सीट पर करारी शिकस्त मिली उस समय भी वीरभद्र सिंह और सुक्खू ने एक-दूसरे के खिलाफ जमकर बयानबाजी की.


'वीरभद्र सिंह कांग्रेस से हैं, कांग्रेस वीरभद्र सिंह से नहीं'


वीरभद्र सिंह ने हार का जिम्मेदार संगठन को बताया, तो सुक्खू ने हार का जिम्मेदार सरकार को बताया. हालांकि, यह बात भी दिलचस्प थी कि दोनों नेता केवल मीडिया में ही एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते थे. दोनों नेता आमने-सामने जब भी मिलते, तो बेहद शालीनता और विनम्रता से मिलते थे. हिमाचल कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया में कई बार यह बयान दिया कि वह संगठन के व्यक्ति हैं और जबकि वीरभद्र संगठन से संबंधित नहीं हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू का यह बयान भी हमेशा चर्चा में रहता था जिसमें वो यह कहा करते थे कि वीरभद्र सिंह कांग्रेस से हैं, कांग्रेस वीरभद्र सिंह से नहीं है. हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी सुखविंदर सिंह सुक्खू को एक बार असफल और अलोकप्रिय तक करार दिया था.


आपस में भिड़ते नजर आते थे दोनों नेता


लंबे समय से हिमाचल प्रदेश की राजनीति को बतौर पत्रकार कवर कर रहे शशि भूषण शर्मा बताते हैं कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय वीरभद्र सिंह और सुखविंदर सिंह सुक्खू के बीच में बयानबाजी बेहद आम थी. आए दिन दोनों नेता किसी न किसी मसले को लेकर आपस में भिड़ते नजर आते थे. दोनों नेताओं के बीच ज्यादातर गहमागहमी संगठनात्मक नियुक्तियों को लेकर रहती थी. वीरभद्र सिंह आए दिन सुखविंदर सिंह सुक्खू की ओर से की गई नियुक्तियों पर सवाल खड़े करते थे. ज्यादा विवाद सचिवों की नियुक्ति को लेकर रहता था.


अब सरकार के मुखिया हैं सुखविंदर सिंह सुक्खू


अब सुखविंदर सिंह सुक्खू भले ही मुख्यमंत्री की दौड़ जीत गए हो, लेकिन होली लॉज से उनके संबंध अभी भी ठीक नहीं कहे जा सकते. हालांकि, मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण करने से पहले सुखविंदर सिंह सुक्खू शिष्टाचार भेंट के लिए हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के निजी आवास होली लॉज भी पहुंचे. सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वह शपथ से पहले प्रतिभा सिंह का आशीर्वाद लेने आए हैं. साथ ही उन्होंने विक्रमादित्य सिंह को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करने की भी बात कही.


आने वाले दिनों में देखने को मिल सकती है सियासी जंग


सुखविंदर सिंह सुक्खू के मुख्यमंत्री बनने के बाद भले ही समीकरण साधने की कोशिश की जा रही हो, लेकिन आने वाले दिनों में भी सियासी जंग देखने को मिल सकती है. जानकार मानते हैं कि अभी भी होली लॉज और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के बीच की सियासी जंग की ज्वाला शांत नहीं हुई है. हालांकि, समय कई बसंत आगे बढ़ चुका है और अब सुखविंदर सिंह सुक्खू संगठन के मुखिया की जगह सरकार के मुखिया हो गए हैं. सीएम  सुक्खू अब पहले से और ज्यादा मजबूत हो गए हैं, लेकिन उनके सामने अब समन्वय और सामंजस्य बनाए रखने की भी बड़ी चुनौती है.



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