Virbhadra Singh Last Desire: हिमाचल प्रदेश के छह बार के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की पहचान कद्दावर नेता के रूप में है. उनके निधन को एक साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी प्रदेश की राजनीति से उनका प्रभाव कम नहीं हुआ है. वीरभद्र सिंह को उनके कठोर प्रशासक की छवि के तौर पर भी जाना जाता है. वीरभद्र सिंह जो ठान लेते थे उसे हर हाल में पूरा ही करते थे, लेकिन एक ऐसी भी चाह थी जिसे वीरभद्र सिंह जीवित रहते पूरा नहीं कर सके.


रोथनी कासल का अधिग्रहण करना चाहते थे वीरभद्र सिंह 


दरअसल वीरभद्र सिंह अपने निजी आवास होली लॉज से चंद मीटर की दूरी पर बने रोथनी कासल का अधिग्रहण करना चाहते थे. वीरभद्र सिंह यहां म्यूजियम बनाना चाहते थे. इस बात का खुलासा हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कांग्रेस के 138वें स्थापना दिवस के मौके पर राजीव भवन में किया. रोथनी कासल कोई आम जगह नहीं बल्कि कांग्रेस की स्थापना करने वाले ए.ओ.ह्यूम का आवास हुआ करता था.


रोथनी कासल में ह्यूम को आया था कांग्रेस की स्थापना का विचार


माना जाता है कि ए.ओ.ह्यूम ने कांग्रेस की स्थापना करने का विचार यहीं बनाया था. रोथनी कासल का निर्माण साल 1838 में हुआ था. इस इमारत को ह्यूम ने बैंक कर्मचारी आर्नल से साल 1854 में खरीदा. साल 1867 में इस इमारत का नाम रोथनी कासल रखा गया. इससे पहले ही साल 1843 में इस इमारत में बैंक कॉरपोरेशन का काम हुआ करता था. रोथनी कासल को अब शीशे वाली कोठी के नाम से भी जाना जाता है.


कौन थे ए.ओ. ह्यूम?


ए.ओ. ह्यूम का जन्म 6 जून 1829 को स्कॉटलैंड में हुआ था. ह्यूम चिकित्सा और सर्जरी की पढ़ाई करने के बाद सिविल सेवा में चले गए थे. प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर उन्हें पहली पोस्टिंग इटावा में मिली थी. कांग्रेस के संस्थापक ए.ओ. ह्यूम को राजनीतिक सुधारक के तौर पर भी जाना जाता है. ह्यूम का निधन साल 1912 में 31 जुलाई के दिन लंदन में हुआ. ए.ओ. ह्यूम का शिमला से खास रिश्ता रहा. लोग आज भी दूर-दूर से रोथनी कासल को देखने के लिए आते हैं. हालांकि अगर पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह इस इमारत का अधिग्रहण कर पाते, तो यह महत्वपूर्ण जानकारी और भी अधिक लोगों तक पहुंचती.


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