Himachal Day 2024: 76 साल का लंबा सफर पूरा कर हिमाचल 77वें साल में प्रवेश कर गया है. छोटे से पहाड़ी राज्य ने इन 76 सालों में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. छोटे-छोटे कदम के साथ शुरू हुआ सफर आज तेज रफ्तार पकड़ चुका है.


विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले हिमाचल प्रदेश के नाम आज बड़ी-बड़ी उपलब्धियां दर्ज हैं. 15 अप्रैल, 1948 को 30 छोटी-बड़ी रियासतों को मिलाकर पहाड़ी प्रदेश का गठन हुआ था. 15 अप्रैल, 1948 के बाद 25 जनवरी, 1971 को हिमाचल पूर्ण राज्य के तौर पर अस्तित्व में आया.


हिमाचल में 40 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़कें


साल 1948 में हिमाचल प्रदेश में न तो पर्याप्त सड़कें थी, न शिक्षण संस्थान और न ही स्वास्थ्य की सुविधा. धीरे-धीरे हिमाचल प्रदेश आगे बढ़ता चला गया और साल 1948 में सिर्फ 228 किलोमीटर लंबी सड़क आज 40 हजार किलोमीटर को पार कर चुकी है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में बड़े-बड़े शिक्षण संस्थान और स्वास्थ्य संस्थान भी अस्तित्व में आ चुके हैं. हिमाचल में धीरे-धीरे रेल और हवाई सफर के साधन भी बढ़ने का काम हो रहा है. खास बात है कि हिमाचल प्रदेश की हर पंचायत सड़क से जुड़ी हुई है. हिमाचल प्रदेश अब बिजली देने वाले राज्य के बाद हरित ऊर्जा राज्य की दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है.


हिमाचल प्रदेश की बड़ी उपलब्धियां 


• कार्बन उत्सर्जन रोकने के लिए हिमाचल को एशिया के पहले कार्बन क्रेडिट राज्य का दर्जा मिला.


• हिमाचल प्रदेश में ई-विधानसभा, ई-कैबिनेट और ई-बजट की व्यवस्था है. ऐसा करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है.


• हिमाचल प्रदेश पूरे देश का पहला धुआं मुक्त राज्य भी है. यहां हर घर में गैस का चूल्हा है.


• हिमाचल प्रदेश के घर-घर तक नल की सुविधा पहुंच चुकी है. ऐसा करने वाला भी हिमाचल देश का पहला राज्य है.


• हिमाचल प्रदेश साल 2017 में खुले में शौच मुक्त राज्य बन चुका है.


• हिमाचल प्रदेश में कैंसर मरीजों को मुफ्त इलाज दिया जाता है.


• हिमाचल प्रदेश की जीडीपी में पर्यटन कारोबार का 9 फीसदी हिस्सा है. यहां पर्यटन गतिविधियों को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है.


• हिमाचल प्रदेश में तंबाकू पदार्थ पर पूर्ण रूप से रोक है. यहां प्लास्टिक की थैली का भी इस्तेमाल नहीं होता.


हिमाचल के सामने कई चुनौतियां


कहते हैं कि पहाड़ की खूबसूरती भी पहाड़ होती है और पहाड़ की समस्याएं भी पहाड़ की तरह ही जटिल होती हैं. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के पास आर्थिक संसाधनों की बेहद कमी है. राज्य अपने यहां विकास के काम के लिए केंद्र सरकार पर ही निर्भर रहता है.


छोटे से पहाड़ी राज्य पर आज 82 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज हो चुका है. यहां 8 लाख युवा बेरोजगार हैं. युवाओं के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध करवाना भी एक बड़ी चुनौती है. यही नहीं, प्रदेश के युवाओं को रोजगार की तलाश में अपना घर छोड़ दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है. हिमाचल के दूरदराज इलाकों में बर्फबारी के वक्त लोगों का संपर्क मुख्यालय से टूट जाता है. ऐसे में उन्हें मूलभूत सुविधाओं के साथ स्वास्थ्य सुविधा हासिल करने के लिए खासा संघर्ष करना पड़ता है.


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