Gaiety Theatre: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की राजधानी शिमला (Shimla) खूबसूरती के साथ कई ऐतिहासिक धरोहरों को भी संजोए हुए है. ब्रिटिश शासन काल के दौरान साल 1884 में देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद यहां कई ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण हुआ. गेयटी थिएटर की इमारत भी इन्हीं ऐतिहासिक इमारतों में से एक है. गेयटी थिएटर का निर्माण साल 1887 में नियो विक्टोरियन गोथिक शैली में हेनरी इरविन (Henry Irwin) ने किया था. खास बात है कि विश्व भर में केवल छह ही गेयटी थिएटर हैं, जिनमें एक राजधानी शिमला में है.

 

शिमला के ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद ब्रिटिश शासक इंग्लैंड से कलाकारों को परफॉर्मेंस देने यहां बुलाया करते थे. उस समय राजधानी में थिएटर न होने की वजह से कलाकार या तो अनाडेल ग्राउंड में या फिर ब्रिटिश अधिकारियों के घर पर प्रस्तुति दिया करते थे. इसके चलते ब्रिटिश हुक्मरानों ने यहां थिएटर बनाने की जरूरत महसूस की. इसके बाद ही शिमला का गेयटी थिएटर साल 1887 में अस्तित्व में आया. उस वक्त लाइट न होने की वजह से प्रस्तुति के दौरान रोशनी के लिए मिट्टी तेल से जलने वाली लालटेन को छत पर लगाया जाता था.

 

इंग्लैंड से आया करती थी टॉर्च की बैटरी

थिएटर में रोशनी करने के लिए टॉर्च का भी इस्तेमाल होता था. इस टॉर्च की बैटरी भी इंग्लैंड से आया करती थी. अंग्रेजों की शिमला में कल्चरल सेंटर स्थापित करने की चाहत ने भी इस थिएटर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आज 135 साल का समय बीत जाने के बाद भी यह थिएटर राजधानी शिमला की शान बढ़ा रहा है. राजधानी शिमला के मॉल रोड पर बने इस गेयटी थिएटर में आज भी कलाकार प्रस्तुति देते हैं. यहां कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के कलाकार अपनी कला का जादू बिखेर चुके हैं. इस थिएटर की खास बात यह भी है कि यहां नाटक मंचन के दौरान माइक का इस्तेमाल नहीं किया जाता.

 


 

आखिरी लाइन में बैठे शख्स को भी सुनती है फुसफुसाहट

'U शेप' में बने इस थिएटर में मंच से की गई फुसफुसाहट भी आखिरी पंक्ति में बैठे दर्शक को सुनाई दे जाती है. इस थिएटर में कुंदन लाल सहगल, पृथ्वीराज कपूर, टॉम ऑल्टर जैसे दिग्गज अभिनेता प्रस्तुति दे चुके हैं. इसके अलावा अनुपम खेर, नसीरुद्दीन शाह, संजय मिश्रा भी इस थिएटर में अपना जादू बिखेर चुके हैं. मशहूर बॉलीवुड अभिनेता शशि कपूर तो गेयटी थिएटर के इस कदर दीवाने थे कि वे इसकी हर ईंट को अपने साथ मुंबई ले जाने की इच्छा जाहिर किया करते थे. एक खास बात यह भी है कि उन्होंने अपनी धर्मपत्नी जेनिफर को शादी के लिए यहीं प्रपोज किया था.

 

साल 2008 में हुआ थिएटर का पुनरुद्धार

साल 2008 में गेयटी थिएटर के 121 साल पूरे हो जाने के बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की निर्देशों के मुताबिक इसका पुनरुद्धार किया गया. इस दौरान मशहूर आर्किटेक्ट वेद सिंघल की देखरेख में थिएटर को संवारने का काम सात करोड़ रुपये की लागत से पूरा हुआ. पुनरुद्धार के दौरान थिएटर की बनावट के साथ किसी तरह की कोई छेड़छाड़ नहीं की गई, सिर्फ थिएटर में मौजूद मैरून रंग की कुर्सियों को हरे रंग की कुर्सियों से बदला गया.