Himachal Pradesh News: केंद्रीय पोषण पर चलने वाले हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति गड़बड़ाती नजर आ रही है. हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को अब एक तारीख को वेतन नहीं मिलेगा. इसके लिए वित्त विभाग ने अलग-अलग तारीखें तय की हैं. छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद सरकार की वित्तीय स्थिति खराब हो गई है. इससे प्रदेश के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है.
वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को प्रस्तुति देकर बताया है कि राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे में कर्मचारियों को अलग-अलग तारीखों पर तनख्वाह देनी होगी. इससे पहले सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह 1 तारीख को ही आती रही है.
हर महीने आ रहा है एक हजार 450 करोड़ का खर्च
छठे वेतन आयोग की सिफारिशें मानने के बाद सरकार को हर महीने तनख्वाह देने के लिए 1 हजार 450 करोड़ की आवश्यकता है. इससे पहले यह खर्च करीब एक हजार करोड़ रुपए था. हिमाचल प्रदेश के पड़ोसी राज्य पंजाब की वित्तीय स्थिति भी खराब है. यहां भी सरकारी कर्मचारियों को अलग-अलग तारीखों पर तनख्वाह दी जा रही है. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के लिए स्थिति और भी खराब है क्योंकि हिमाचल प्रदेश में कमाई के संसाधन नाम मात्र के हैं.
कैसे पूरे होंगे जनता से किए वादे?
जहां एक तरफ हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाती नजर आ रही है. वहीं, दूसरी ओर सरकार ने सत्ता में आने से पहले जनता के बीच लुभावने वादे किए हैं. इनमें सरकार के सामने ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली, महिलाओं को हर महीने 1 हजार 500 रुपए और घरेलू उपभोक्ता 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की बड़ी चुनौती रहने वाली है. इससे केंद्रीय वित्तीय पोषण पर पलने वाले हिमाचल प्रदेश की वित्तीय स्थिति और अधिक खराब होगी. यही नहीं, सरकार ने पहली कैबिनेट में एक लाख और कुल पांच लाख रोजगार देने का भी वादा किया है. ऐसी स्थिति में सरकार अपने वादों को कैसे पूरा करेगी, इस पर बड़ा प्रश्न चिन्ह है.