Himachal News: हिमाचल में 'सीएम स्कूल ऑफ एक्सिलेंस' खोलने की तैयारी, इन स्कूलों को किया जाएगा अपग्रेड
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने और स्कूलों की बेहतरी की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. ये निर्णय सीएम की बैठक में लिए गए हैं.
CM School of Excellence: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में साल 2026-27 तक राज्य की प्राथमिक से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के 2050 स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस (Schools of Excellence) बनाया जाएगा. शिक्षा विभाग (Education Department) के साथ बैठक में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने 31 दिसंबर तक इनकी सूची तैयार करने के निर्देश भी दिए हैं.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए व्यापक स्तर पर सुधार करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. राज्य में सरकारी क्षेत्र में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोले जाएंगे. इसके साथ ही स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम भी शुरू किया जाएगा. इसके लिए खंड, उपमंडल और जिला स्तर के अधिकारियों को शामिल किया जाएगा, ताकि शिक्षा के स्तर में सुधार आ सके.
हिमाचल में शुरू होगी गेस्ट लेक्चरर की व्यवस्था
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विभागीय अधिकारियों को गेस्ट लेक्चरर योजना शुरू करने की संभावनाएं तलाशने के भी निर्देश दिए हैं. इसके लिए ऑनलाइन आवेदन लेने और चयन के बाद उन्हें रिक्त पदों वाले स्कूलों में एक साल के लिए तैनात करने संबंधी प्रावधान भी किए जाएंगे. उन्होंने विभाग को इस योजना का विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए.
स्कूलों को ऐसे किया जाएगा सम्मानित
सीएम ने कहा कि शैक्षणिक सत्र में अनिवार्य 220 टीचिंग डे सुनिश्चित करने के लिए कैलेंडर तैयार किया जाएगा. पहली नियुक्ति पर अध्यापकों को अनिवार्य प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि बेहतर कार्य करने वाले स्कूलों और अध्यापकों को राज्य सरकार प्रोत्साहित करेगी और इसके तहत जिला स्तर पर पांच स्कूलों को सम्मानित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार की एजेंसियों के साथ प्रमुख गैर-सरकारी संस्थाओं का सहयोग लेने की संभावनाएं भी तलाशी जाएंगी.
6 साल की उम्र में पहली कक्षा में दाखिला
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि शिक्षा क्षेत्र में लाए जा रहे सुधारों के तहत सरकारी शिक्षण संस्थानों में भी छह साल की उम्र में पहली कक्षा में दाखिला सुनिश्चित किया जाए. इसके साथ ही विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों को आयु वर्ग के मुताबिक लाइफ स्किल में पारंगत किया जाएगा, ताकि उनका ज्ञान केवल किताबों तक ही सीमित न रहने पाए.
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