हिमाचल में BJP से जुड़े 6 नेताओं को राहत! राज्यपाल ने सुक्खू सरकार के इस बिल को वापस लौटाया
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में दो मुद्दों पर राज्यपाल और सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार में तल्खी देखी जा रही है. कांग्रेस ने इसी बहाने बीजेपी को निशाने पर लिया है.
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला और सुखविंदर सिंह सरकार में तल्खी बढ़ गई है. दरअसल, राज्यपाल ने उस विधेयक लौटा दिया है, जिसमें दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए गए विधायकों को पेंशन देने पर रोक लगाई गई है.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने सदस्यों के भत्ते और पेंशन (संशोधन) विधेयक, 2024 को पिछले साल चार सितंबर को पारित किया था. यह संविधान की 10वीं अनुसूची - दलबदल विरोधी कानून - के तहत अयोग्य ठहराए गए सदन के सदस्यों को पेंशन लेने से रोकता है.
राज्यपाल की क्या है आपत्ति?
यह विधेयक कांग्रेस के छह पूर्व विधायकों को प्रभावित करता है, जिन्हें व्हिप का उल्लंघन करने के कारण पिछले वर्ष फरवरी में विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य घोषित कर दिया था.
एक अधिकारी ने बताया कि राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने कुछ आपत्तियों के साथ विधेयक राज्य सरकार को वापस भेज दिया है, जिन पर स्पष्टीकरण मांगा गया है. सूत्रों के अनुसार, विधेयक को पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता.
बीजेपी ने क्या कहा?
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने विधेयक पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इसमें 'राजनीतिक बदले' की भावना है और इसे पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता. सभी छह पूर्व विधायकों ने इस साल की शुरुआत में बीजेपी के टिकट पर उपचुनाव लड़ा था जिनमें से दो जीत गए थे जबकि अन्य चार हार गए.
नौतोड़ भूमि आवंटन पर भी तल्खी
हिमाचल प्रदेश में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने राज्यपाल की तरफ से नौतोड़ भूमि के आवंटन के मामले में अनुमति देने में देरी पर सवाल उठाए. मंत्री ने विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर और बीजेपी प्रदेश इकाई पर भी निशाना साधा. उन्होंने पूछा कि क्या वे आदिवासियों को नौतोड़ जमीन देने के पक्ष में हैं. ‘नौतोड़’ भूमि से आशय शहरों के बाहर की जमीन से है जो संरक्षित वनों के दायरे में नहीं होती. आम नागरिकों को इस भूमि के उपयोग के लिए आवंटित करने का निर्णय प्राधिकारी ले सकते हैं.