Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका लगा है. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने वॉटर सेस अधिनियम को खारिज करते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया है. राज्य सरकार की ओर से बनाए गए इस अधिनियम के विरोध में 40 विद्युत कंपनियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब राज्य सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना को रद्द माना जाएगा.
वरिष्ठ अधिवक्ता रजनीश मानिकतला ने जानकारी देते हुए बताया कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने यह फैसला सुनाया है. इस डिवीजन बेंच में न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य शामिल थे. इस खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार की ओर से बनाया गया यह अधिनियम, उसके क्षेत्राधिकार में नहीं आता. राज्य सरकार की ओर से तैयार किए गए इस अधिनियम को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने असंवैधानिक करार दिया है.
राज्य सरकार को इस अधिनियम के जरिए 172 पन बिजली परियोजनाओं से 3829.15 करोड़ रुपये तक कमाई की उम्मीद थी. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पास इस तरह का कानून बनाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है. इस तरह हिमाचल सरकार की तरफ से जारी वॉटर सेस की अधिसूचना रद्द मानी जाएगी.
कंपनियों की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने की पैरवी
बता दें कि इस कानून को हाइड्रो पावर कंपनियों ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. इन कंपनियों की तरफ से एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने केस की पैरवी की. दिलचस्प बात यह है कि अभिषेक मनु सिंघवी को बाद में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा उम्मीदवार भी बनाया गया था.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी राजस्व जुटाने वाले इस कदम के खिलाफ अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में पैरवी भी की. हालांकि हाईकोर्ट के इस फैसले खिलाफ हिमाचल प्रदेश सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का मौका है.
हाईकोर्ट के फैसले से सुक्खू सरकार को झटका
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी रेवेन्यू जेनरेट करने वाले वाला ऐतिहासिक स्रोत बता चुके हैं. मुख्यमंत्री ने न केवल विधानसभा में इसे हिमाचल प्रदेश की तकदीर बदलने वाला बताया था, बल्कि कई सार्वजनिक मंच से भी इस तरह की बात करते रहे हैं.
सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के बनाए इस कानून को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद अब राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है. साथ ही राज्य सरकार की राजस्व एकत्रित करने की इस योजना पर विराम लग लगा. इससे हिमाचल सरकार को अच्छी खासी कमाई होने की उम्मीद थी.
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