हिमाचल हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, गणित के दो एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति इस वजह से कर दी रद्द?
Himachal News: हिमाचल हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालय में गणित के दो एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति रद्द कर दी है.
Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में गणित विषय के एसोसिएट प्रोफेसर के लिए चयनित दो प्राध्यापकों की नियुक्ति को अयोग्य करार देकर रद्द किया है.
इस नियुक्तियों को लेकर पूर्व सरकार के वक्त में 30 दिसंबर 2019 को विज्ञापित किया गया था. इस विज्ञापन में एचपीयू के पीजी सेंटर में गणित के तीन एसोसिएट प्रोफेसर पदों के लिए प्रक्रिया शुरू की गई थी. इसके लिए याचिकाकर्ता राजेश कुमार शर्मा भी पात्र थे.
याचिकाकर्ता ने आरटीआई से जुटाए थे साक्ष्य
याचिकाकर्ता राजेश कुमार शर्मा ने बाद में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सारी प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी. उस प्रक्रिया को तय नियमों के तहत न पाकर राजेश कुमार शर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. अब हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने याचिका की सुनवाई के बाद यह बड़ा फैसला दिया है.
इस याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में गणित के एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर तैनात दो प्राध्यापकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया है.
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल यूनिवर्सिटी में ऐसी किसी भी पोस्ट की तैनाती के लिए अपनी शक्ति कुलपति को हस्तांतरित नहीं कर सकती है.
छात्र संगठन एनएसयूआई ने किया फैसले का स्वागत
छात्र संगठन एनएसयूआई ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है. हिमाचल एनएसयूआई के राज्य उपाध्यक्ष वीनू मेहता ने कहा कि उनका छात्र संगठन लंबे वक्त से विश्वविद्यालय में गलत तरीके से हुई भर्तियों को लेकर सवाल खड़े करता रहा है.
आज हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने इस आदेश से यह स्पष्ट कर दिया कि भर्ती प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया. उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग उठाई है कि ऐसे सभी शिक्षकों और गैर शिक्षकों पर कार्रवाई की जानी चाहिए, जिन्हें नियमों के विरुद्ध नौकरी पर रखा गया है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में शोध का स्तर बनाए रखने के लिए यह बेहद जरूरी है कि नियमों के तहत ही भर्ती प्रक्रिया पूरी हो.
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