Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने नगर निगम आयुक्त को संजौली मस्जिद मामला दो महीने में निपटाने के आदेश जारी किए हैं. यह आदेश हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस संदीप शर्मा की ओर से जारी किए गए हैं. अपने आदेशों में उच्च न्यायालय ने नगर निगम आयुक्त को कहा है कि आठ हफ्तों में मस्जिद के मुख्य केस की प्रोसिडिंग पूरी की जाए.


हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से यह आदेश उस रिट याचिका की सुनवाई के दौरान दिए गए, जिसमें स्थानीय लोगों ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से यह आग्रह किया था कि नगर निगम आयुक्त की अदालत को मस्जिद मामले का निपटारा करने के लिए समयबद्ध किया जाए. 


क्या बोले स्थानीय लोगों के वकील?
इस मामले में संजौली के स्थानीय लोगों की तरफ से एडवोकेट जगत पाल पेश हुए. अधिवक्ता जगत पाल में बताया कि 19 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में उन्होंने याचिका दाखिल की थी. याचिका संख्या- 11700/2024 में उन्होंने मस्जिद के अवैध निर्माण के मामले में समयबद्ध मामले का निपटारा करने के लिए हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से आग्रह किया था.


जगत पाल ने बताया कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए नगर निगम आयुक्त को आठ हफ्ते का वक्त दिया है. आठ हफ्ते का यह वक्त प्रोसिडिंग को पूरा करने के लिए दिया गया है. एडवोकेट जगत पाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालन न करने की स्थिति में नगर निगम आयोग के खिलाफ कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट का मामला भी बन सकता है.


साल 2010 में स्थानीय लोगों ने दी थी शिकायत
साल 2010 में स्थानीय लोगों की तरफ से नगर निगम में एक शिकायत दर्ज करवाई गई थी. शिकायत में कहा गया था कि संजौली में मस्जिद का अवैध निर्माण किया जा रहा है. शिकायत में यह भी कहा गया था कि संबंधित अथॉरिटी की अनुमति और बिना नक्शा पास करवाए ही निर्माण किया जा रहा है. तब से लेकर अब तक यह शिकायत विचाराधीन रही. मीडिया के साथ अनौपचारिक बातचीत के दौरान एडवोकेट जगत पाल ने इसे प्रदर्शनकारियों की जीत बताया, जो अवैध निर्माण के खिलाफ एकत्रित हुए थे.


जेई ने भी निर्माण को पाया था अवैध
वहीं, अधिवक्ता पायल ने बताया कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष कई तथ्य पेश किए. उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को बताया कि नगर निगम के कागजों से का पता चलता है कि पूरी मस्जिद का निर्माण अवैध तरीके से हुआ है.


इस संबंध में साल 2010 में स्थानीय लोगों ने एक शिकायत भी दर्ज करवाई थी. 5 मई, 2010 को मौके पर तत्कालीन जेई आए थे और उन्होंने पाया था कि यहां अवैध तरीके से निर्माण किया गया है. नगर निगम के कनिष्ठ अभियंता ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि यहां अवैध निर्माण किया गया है.


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