HP News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से बुधवार को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार को झटका दिया. उप मुख्यमंत्री और मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाएं रद्द करने के लिए सरकार के आवेदन को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. हिमाचल प्रदेश सरकार ने याचिकाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे. इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि नियुक्तियों के खिलाफ सुनवाई मेरिट के आधार पर होगी. हिमाचल प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि याचिकाओं में त्रुटि के चलते इसे अनमेंटेबल करार दिया जाए.


दायर याचिका में नहीं कोई दोष: हाईकोर्ट


हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति बीसी नेगी की बेंच ने कहा कि नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में कोई दोष नहीं है. यदि कोई दोष था, तो उसे अतिरिक्त शपथ पत्र दायर कर दूर कर दिया गया है. मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका अवैध नहीं है. ऐसे में इन्हें खारिज नहीं किया जा सकता. गौरतलब है कि बीजेपी भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती समेत 12 बीजेपी विधायकों ने हिमाचल प्रदेश में उप मुख्यमंत्री और मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. इस मामले में 16 अक्टूबर को अगली सुनवाई होनी है.


नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने साधा निशाना 


वहीं, इस मामले पर हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का भी बयान सामने आया है. उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की ओर से खारिज की गई किए गए आवेदन को भाजपा की बड़ी जीत बताया. उन्होंने कहा कि यह भाजपा की बड़ी जीत है और सरकार के लिए करारा झटका. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सलाहकारों की बड़ी फौज खड़ी की हुई है और इन्हीं सलाहकारों की सलाह लेकर अब वह फंस गए हैं.


बीजेपी की याचिका पर अदालत में केस लंबित 


हिमाचल प्रदेश सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए हैं. इनमें कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, पालमपुर से आशीष बुटेल, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, दून से राम कुमार और अर्की से संजय अवस्थी शामिल हैं. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में उप मुख्यमंत्री के पद को भी चुनौती दी गई है. भारतीय जनता पार्टी के याचक विधायकों की ओर से सत्यपाल जैन इस केस को लड़ रहे हैं.


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