Illegal Dumping in Govind Sagar Lake: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने वन सचिव, मुख्य वन संरक्षक, डीएफओ बिलासपुर, एडिशनल डायरेक्टर मत्स्य पालन, एनएचएआई डायरेक्टर पीआईयू मंडी और किरतपुर- नेरचौक हाईवे प्राधिकरण लिमिटेड को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस एक जनहित याचिका पर कड़ा संज्ञान लेते हुए जारी किया गया. याचिका में किरतपुर-नमनाली फोरलेन का मलबा अवैध रूप से गोविंद सागर झील में डंप करने की बात कही गई थी. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर अधिकारियों से जवाब तलब किया है.


हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई


हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर करते हुए याचिकाकर्ता मदन लाल ने आरोप लगाया कि किरतपुर- नेरचौक नेशनल हाईवे के निर्माण के दौरान निकल रही मिट्टी को अवैध रूप से गोविंद सागर झील में डंप किया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को इस बारे में कई बार शिकायत की, लेकिन अधिकारी इसे लेकर सजग नहीं है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि बिलासपुर और ऊना जिले में स्थित गोविंद सागर झील सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह जी के नाम पर है. यह झील हिमाचल प्रदेश सरकार का एक महत्वपूर्ण मत्स्य रिजर्व होने के कारण सिल्वर कॉर्प जैसी 51 मछली की प्रजातियां का घर है. यहां सिंघाड़ा और महासीर जैसी मछलियों का प्रजनन होता है. बावजूद इसके यहां इलीगल डंपिंग कर मछलियों का जीवन भी खराब किया जा रहा है.


कमेटी की जांच में भी इलीगल डंपिंग का खुलासा


याचिका में बताया गया है कि एसडीएम बिलासपुर की अध्यक्षता में 8 सदस्य संयुक्त निरीक्षण समिति का गठन किया गया था. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में गोविंद सागर झील के पास 10-12 खड्ड होने का जिक्र किया है. समिति ने पाया था कि इन खड्ड में अवैध रूप से मलबा डाला जाता है और यह मलबा गोविंद सागर झील तक पहुंच रहा है. इससे मत्स्य विभाग और मछुआरों को भारी नुकसान हो रहा है. जलाशय में अवैध रूप से मलबा डालने से मछली उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और इससे मछुआरों की कमाई पर असर पड़ रहा है.


इलीगल डंपिंग से घटा मछली उत्पादन


याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान के अनुसार, मछली का उत्पादन साल 2014 में 1 हजार 492 मीट्रिक टन से घटकर 2022 में सिर्फ 250 मिट्रिक टन रह गया है. मछली उत्पादन में भारी कमी आई है. इससे तीन हजार परिवारों की आजीविका पर नकारात्मक असर पड़ा है.


मामले में 12 जून को होगी अगली सुनवाई


याचिकाकर्ता ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से मांग की है कि प्रतिवादियों को गोविंद सागर झील में डंप किए गए अवैध मलबे को हटाने के निर्देश दिए जाए, जहां से पानी गोविंद सागर झील में बहता है. याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की है कि गरीब मछुआरों की आजीविका के नुकसान की जांच के आदेश दिए जाए. साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी जांच हो. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रतिवादियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि गोविंद सागर झील में अवैध रूप से मलबा न डाला जाए. अब मामले की सुनवाई सुनवाई 12 जून को होगी.