हिमाचल में चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत पर गरमाई सियासत, बीजेपी ने राज्यपाल से कर दी ये मांग
Vimal Negi Case: हिमाचल में HPPCL के चीफ़ इंजीनियर की मौत के मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है. BJP मामले की CBI जांच की मांग कर रही है, सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच बैठाई है.

Himachal Vimal Negi Case: हिमाचल में HPPCL के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत का मामला सियासी रंग ले चुका है. विपक्षी दल बीजेपी मामले की सीबीआई जांच पर अड़े गई है. जबकि सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच बैठाई है. लेकिन बीजेपी इससे असंतुष्ट है. परिणाम स्वरूप बीजेपी ने विमल नेगी की मौत को लेकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर बीजेपी शुक्रवार (21 मार्च) को सुबह राजभवन पहुंच गई और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल के नेतृत्व में हिमाचल के राज्यपाल शिव प्राप्त शुक्ल को ज्ञापन सौंपा. जिसमें मामले की सीबीआई जांच मांगी गई.
'FIR में अधिकारी का नाम होना चाहिए था'
बीजेपी नेताओं ने राज्यपाल से मांग उठाई कि एक आईएएस अधिकारी की दूसरा आईएएस अधिकारी जांच कैसे कर सकता है. एफआईआर में विभाग के एमडी के नाम पर मामला दर्ज नहीं किया है. FIR में अधिकारी का नाम होना चाहिए था. अब तो एमडी बदल दिया गया है, ऐसे में केस तो पद के खिलाफ बना जो कि गलत है.
जयराम ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी विधायक दल ने राज्यपाल को ज्ञापन के माध्यम से पूरे मामले को ध्यान में लाया है. बिजली बोर्ड के अन्तर्गत एचपीपीसीएल के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है. विमल नेगी पिछले कई दिनों से लापता थे, परिवार द्वारा शिकायत करने के बावजूद भी FIR दर्ज नहीं की गई.
'विमल नेगी मानसिक दबाव में रहते थे'
8 मार्च, 2025 को नेगी का शव गोविन्द सागर झील से बरामद हुआ. 19 मार्च, 2025 को एचपीपीसीएल के अधिकारियों, कर्मचारियों और विमल नेगी के परिजनों ने प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा और निदेशक देश राज को जिम्मेदार ठहराया. उनका कहना था कि उक्त अधिकारी विमल नेगी को गलत काम करने के लिए दबाव डालते थे, जिसके कारण विमल नेगी मानसिक दबाव में रहते थे. विमल नेगी की मानसिक प्रताड़ना इतनी बढ़ गई थी कि परेशान होकर उनकी यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसलिए इन अधिकारियों को तुरन्त निलम्बित कर उन पर एफआईआर दर्ज करनी चाहिए और पूरी घटना की जांच सीबीआई से होनी चाहिए.
'निलम्बित करने की जगह सिर्फ पद से ही हटाया'
सरकार द्वारा सकारात्मक कार्रवाई न करने पर एचपीपीसीएल के कर्मचारियों व नेगी के परिजनों ने उनका शव एचपीपीसीएल के कार्यालय के बाहर रख कर सरकार को चेतावनी दी थी कि वे तब तक दाह-संस्कार नहीं करेंगे, जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानेगी, तब जाकर सरकार ने एचपीपीसीएल के निदेशक को तो निलंबित कर दिया, परन्तु प्रबन्ध निदेशक को निलंबित करने की जगह सिर्फ पद से ही हटाया. उसके बावजूद भी जब परिजन माने नहीं तब जाकर एफआईआर दर्ज की. विमल नेगी के परिजन उनका शव दाह संस्कार के लिए अपने पैतृक गांव किन्नौर ले गए.
महामहिम, बीजेपी विधायक दल जहां इस घटना पर दुख प्रकट करता है, वहीं विमल नेगी के परिजनों व एचपीपीसीएल के कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करता है. हम आपके विनम्र ध्यान में लाना चाहते हैं कि एफआईआर में केवल एक ही अधिकारी का नाम है, दूसरे अधिकारी का नहीं है सिर्फ उनके पद का जिक्र किया गया है जबकि उस अधिकारी को एफआईआर दर्ज करने के समय से पहले उस पद से हटा दिए गए था . महोदय यही नहीं सरकार ने एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को जांच का जिम्मा दिया है.
जिस घटना में आईएएस अधिकारी की संलिप्तता हो, उस घटना की जांच अगर दूसरा आईएएस अधिकारी करेगा तो निष्पक्ष जांच पर प्रश्न चिन्ह लगेगा. इसलिए बीजेपी विधायक दल मांग करता है कि (i) इस घटना की एफआईआर में दूसरे अधिकारी का भी नाम शामिल किया जाए. (ii) इस घटना की और दो वर्ष में एचपीपीसीएल की गतिविधियों की जांच सीबीआई से करवाई जाए.
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