Himachal Pradesh News: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश विकास के मामले में केंद्र सरकार पर ही निर्भर रहता है. हिमाचल प्रदेश की गाड़ी कर्ज लिए बिना आगे नहीं बढ़ती. बीते करीब दो दशक से हिमाचल प्रदेश में कर्ज का मर्ज कम होने का नाम ही ले रहा. इस बीच अब केंद्र ने हिमाचल प्रदेश की राह मुश्किल कर दी है. केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के कर्ज लेने की सीमा 5 हजार 500 करोड़ रुपए तक घटा दी है. पहले हिमाचल प्रदेश सरकार 14 हजार 500 करोड़ रुपए तक का कर्ज ले सकती थी, लेकिन अब सिर्फ 9 हजार करोड़ रुपए तक का ही कर्ज लिया जा सकेगा. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhwinder Singh Sukhu) इस मामले को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) के पास उठाने के लिए दिल्ली भी गए हुए हैं.


केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकार को नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के लिए मिलने वाली मैचिंग ग्रांट को भी रोक दिया है. एनपीएस के लिए मार्च में केंद्र से 1 हजार 780 करोड़ रुपए पेंशन के मिलते थे. वह भी सरकार को अब नहीं मिलेंगे. हिमाचल प्रदेश की जीडीपी (Himachal Pradesh GDP) करीब दो लाख करोड़ की है. साल 2023-24 के बजट के मुताबिक राज्य सरकार कुल जीडीपी का 3 फीसदी रकम के बराबर ही कर्ज ले सकती है. इससे पहले प्रदेश सरकार 6 फीसदी तक लोन उठा रही थी. इस नियम में रियायत न मिलने पर सरकार की राह लगातार मुश्किल होती हुई नजर आएगी.


सबसे अमीर राज्य कैसे बनेगा हिमाचल


हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लगातार पूर्व की सरकार पर कर्ज के बोझ को बढ़ाने का आरोप लगाते रहे हैं. हालांकि, खुद भी सत्ता में आते ही कांग्रेस सरकार ने तीन अलग-अलग किस्तों में भारी-भरकम लोन उठा लिया था. हिमाचल प्रदेश के कुल बजट का 46 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन में ही चला जाता है. सरकार अपनी गाड़ी आगे बढ़ाने के लिए हर साल जमकर खर्च करती है, लेकिन सरकार की कमाई नाम मात्र की है. इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का यह दावा कि हिमाचल प्रदेश आने वाले 10 सालों में देश भर का सबसे अमीर राज्य होगा, इस दावे पर भी खतरा मंडराता हुआ नजर आ रहा है.


कर्ज कहां से ले रही सरकार


हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की ओर से सदन में दिए गए जवाब के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश सरकार ने विभिन्न एजेंसियों से वर्ष 2020-21 में 7 हजार 295 करोड़ का कर्ज लिया. इसके अलावा, 2021-22 में 5 हजार 500 करोड़ और 2023-24 में 10 हजार 294 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. कुल-मिलाकर पिछले तीन साल में कुल 23 हजार  185 करोड़ के कर्ज का बोझ प्रदेश पर लाद दिया गया. सरकार ने कर्ज का सबसे बड़ा हिस्सा खुले बाजार से उठाया है. पिछले तीन साल में हिमाचल प्रदेश सरकार में 19 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज खुले बाजार से उठाया. सरकार की ओर से दी गई जवाब में बताया गया कि मई 2022 से 31 जनवरी 2023 तक 9 हजार  500 करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया. वहीं, 2020-21 में खुले बाजार से एक हजार करोड़, 2021-22 में चार हजार करोड़ कर कर्ज़ सरकार ने लिया.


राजस्व घाटा 4704 करोड़ रुपए


बता दें कि सदन में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साल 2023-24 के लिए 53 हजार 413 करोड़ रुपए का बजट पेश किया. साल 2023-24 में राजस्व प्राप्तियां 37 हजार 999 रहने का अनुमान है. इसके अलावा कुल राजस्व व्यय 42 हजार 704 करोड़ रुपए अनुमानित है. इस तरह कुल राजस्व घाटा 4 हजार 704 करोड़ रुपए होने का अनुमान है. इसके अलावा राजकोषीय घाटा 9 हजार 900 करोड़ रुपए अनुमानित है, जो प्रदेश की GDP का 4.61 फीसदी हिस्सा है.


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