Himachal Lok Sabha Election: कांग्रेस ने इससे पहले भी लगाया है सिटिंग विधायकों पर दांव, जानें इस प्रयोग में मिली थी जीत या हार?
Lok Sabha Election: हिमाचल में यह पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस ने सिटिंग विधायकों को टिकट दिया हो. इससे पहले 2019 के चुनाव में भी कांग्रेस ने तीन सीटों पर सिटिंग विधायकों को प्रत्याशी बनाया था.
Himachal Pradesh Lok Sabha Elections 2024: हिमाचल लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने शनिवार (13 अप्रैल) को अपने दो प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. मंडी संसदीय क्षेत्र से विक्रमादित्य सिंह और शिमला संसदीय क्षेत्र से विनोद सुल्तानपुरी को चुनावी रण में उतारा गया है. दोनों ही हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सिटिंग विधायक हैं. विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण और विनोद सुल्तानपुरी कसौली विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं.
वहीं दोनों के पिता पहले ही सांसद रहे हैं. विक्रमादित्य सिंह के पिता वीरभद्र सिंह हिमाचल प्रदेश के छह बार मुख्यमंत्री रहे और महासू के साथ मंडी से भी सांसद रहे. वहीं विनोद सुल्तानपुरी के पिता कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी भी 1980 से लेकर 1998 तक लगातार शिमला संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल करते रहे हैं. प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के बाद पैदा हुई सियासी स्थिति के बाद सिटिंग विधायकों को चुनावी रण में न उतरने की चर्चा थी, लेकिन बदलते समीकरणों में एक बार फिर कांग्रेस ने सिटिंग विधायकों पर ही विश्वास जताया है.
हिमाचल में यह पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस ने सिटिंग विधायकों को चुनावी रण में उतारा हो. इससे पहले साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने कुल चार में से तीन सीटों पर सिटिंग विधायकों को ही अपना प्रत्याशी बनाया था. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में शिमला से डॉक्टर धनीराम शांडिल, कांगड़ा से पवन काजल और हमीरपुर से रामलाल ठाकुर चुनाव लड़े थे. यह तीनों ही हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सिटिंग विधायक थे और तीनों सिटिंग विधायकों को हार का सामना करना पड़ा था.
2014 में भी सिटिंग विधायकों पर लगाया था दांव
मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस ने आश्रय शर्मा को टिकट दिया था और आश्रय को भी करीब 4 लाख वोट के बड़े मार्जिन से हार झेलनी पड़ी थी. आश्रय शर्मा पूर्व मंत्री पंडित सुखराम के पोते हैं. जिस वक्त आशय शर्मा ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा, उस वक्त उनके पिता अनिल शर्मा तत्कालीन जय राम सरकार में ऊर्जा मंत्री थे. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने दो सिटिंग विधायकों को अपना प्रत्याशी बनाया था. इनमें शिमला से मोहन लाल ब्राक्टा ने वीरेंद्र कश्यप के खिलाफ चुनाव लड़ा और उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
इसी तरह हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से भी निर्दलीय सिटिंग विधायक राजिंदर राणा का इस्तीफा करवाने के बाद उन्हें अनुराग ठाकुर के खिलाफ चुनाव लड़वाया गया. यहां अनुराग ठाकुर ने राजिंदर राणा को करारी शिकस्त दी थी. राजिंदर राणा सांसद तो नहीं बन सके, लेकिन साथ ही उनकी विधायकी भी चली गई. उनके इस्तीफे के बाद खाली हुई सुजानपुर सीट पर हुए उपचुनाव में भी उनकी धर्मपत्नी अनीता राणा को बीजेपी के अनिल ठाकुर ने हरा दिया था.