Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में जिला परिषद कैडर कर्मचारी बीते करीब दो हफ्ते से लगातार हड़ताल (Strike) पर हैं. यह कर्मचारी सरकार से विभाग में विलय (Merger) की मांग कर रहे हैं. कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से ग्रामीण स्तर पर सरकारी काम बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. ऐसे में सरकार की चिंताएं भी लगातार बढ़ रही हैं. इस बीच ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह (Anirudh Singh) ने कर्मचारियों से काम पर लौटने की अपील की है. उन्होंने कहा कि राहत कार्यों में उनकी सेवाएं बेहद जरूरी हैं.


अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि इस साल की बरसात में हिमाचल प्रदेश ने इतिहास की सम्भवतः सबसे भीषण त्रासदी का सामना किया है. भारी बारिश और भू-स्खलन के कारण लोगों के घर, गौशालाएं ढह गईं और निजी एवं सार्वजनिक सम्पत्ति को भारी नुकसान पहुंचा है. कृषि और बागवानी भूमि के साथ फसलों को भी भारी क्षति हुई है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रभावित परिवारों को मदद के लिए 4 हजार 500 करोड़ रुपये का विशेष आर्थिक पैकेज घोषित किया है.


पीड़ितों का दुख समझकर लौट आएं- अनिरुद्ध सिंह
 अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि राहत के कार्य पंचायत स्तर पर पूरे किए जाने हैं. इसमें जिला परिषद कर्मचारियों की प्रमुख भूमिका होती है. उन्होंने हड़ताल पर गए सभी कर्मियों से अपील की है कि वे प्रभावित परिवारों के दुःख-दर्द को समझते हुए वापिस काम पर लौट जाएं. 


विपक्ष के झांसे में न आएं कर्मचारी- अनिरुद्ध सिंह 
कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर विकास कार्यों को अमलीजामा पहनाने में जिला परिषद कर्मियों का सराहनीय योगदान रहा है. उन्होंने दोहराया कि विभिन्न वित्तीय बाधाओं के बावजूद वर्तमान प्रदेश सरकार ने हमेशा कर्मचारियों के हित में निर्णय लिए हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार शुरू से ही जिला परिषद कर्मचारियों की मांगों को लेकर पूरी तरह से गंभीर रही है. ऐसे में कर्मचारियों को विपक्ष के किसी भी प्रकार के झांसे में न आकर संयम बरतते हुए प्रभावित परिवारों और प्रदेश हित की सोचना चाहिए और काम पर लौट आना चाहिए.


क्या है जिला परिषद कैडर कर्मियों की मांग?
प्रदेश भर के 88 ब्लॉकों के करीब 4 हजार 700 जिला परिषद कैडर कर्मचारी सरकार से ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में विलय की मांग कर रहे हैं. यह कर्मचारी लंबे वक्त से सरकार को सेवा दे रहे हैं, लेकिन यह इस विभाग का हिस्सा ही नहीं हैं. ऐसे में यह कर्मचारी चाहते हैं कि इनका विभाग में विलय किया जाए, ताकि इन्हें अन्य कर्मचारियों की तरह लाभ मिल सके. 


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