Himachal Pradesh News: कहते हैं कि जिंदा रहने के लिए जिंदा दिखना जरूरी होता है, लेकिन कभी ऐसा भी होता है कि आपको जिंदा रहने के लिए पहले मरना पड़ता है. ऐसे ही मौत और जिंदगी के बीच की जंग जीतकर हिमाचल की बेटी पर्वतारोही बलजीत कौर वापस अपने घर लौट आई हैं. सोलन पहुंचने पर उनका जोरदार स्वागत हुआ और उन्हें सम्मानित भी किया गया.


दरअसल, नेपाल में 8 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित माउंट अन्नपूर्णा को फतेह करते हुए 18 अप्रैल को यह खबर सामने आई थी कि पर्वतारोही बलजीत कौर की वापस कैंप की ओर लौटते वक्त मौत हो गई. हालांकि, बाद में मैनेजमेंट की तरफ से जानकारी दी गई कि बलजीत कौर की मौत की खबर उनकी तरफ से गलती से दे दी गई. बलजीत कौर ने सेटेलाइट फोन के जरिए अपने सिग्नल भेजे थे, जिसके माध्यम से उनके सर्च ऑपरेशन में लगे तीन हेलीकॉप्टर ने उन्हें ढूंढ निकाला. बलजीत कौर की मौत की खबर ने जहां एक ओर उनके परिवार और करीबी लोगों को हिलाकर रख दिया था. वहीं दूसरी तरफ गुमनामी में जी रही बलजीत कौर को प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में भी पहचान दिला दी.


मैनेजमेंट की गलती से हुआ हादसा
बलजीत कौर के साथ हुआ ये हादसा मैनेजमेंट की एक बड़ी गलती थी. मैनेजमेंट की तरफ से बलजीत कौर के साथ भेजा गया शेरपा अनुभवहीन था. इसके पहले उनके साथ एक अनुभव वाले शेरपा को भेजा गया था जिसे बाद में बदल दिया गया. दरअसल, किसी अन्य विदेशी पर्वतारोही ने ज्यादा पैसे देकर अनुभव वाले शेरपा को अपने लिए हायर कर लिया था. अनुभवहीन शेरपा ने बलजीत कौर को वापस लौटते वक्त रास्ते में ही छोड़ दिया.


बलजीत के साथ भेजा गया अनुभवहीन शेरपा
बलजीत कौर ने बताया कि जब वह अन्नपूर्णा से केवल 100 मीटर दूर थी, तब उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. इस समय शेरपा भी काफी थका हुआ लग रहा था. उन्होंने पहले शेरपा से कहा कि वे यह सम्मिट अगले साल पूरा कर लेंगे, लेकिन फिर बाद में सम्मिट को पूरा किया गया. जब वे अन्नपूर्णा फतह करने के बाद बेस कैंप-4 की ओर वापस आने लगे तो साथ आ रहे दोनों शेरपा उन्हें छोड़ कर चले गए. वे दोनों शेरपा आपस में काफी देर तक बहस कर रहे थे और बहस के बाद वह बलजीत कौर को छोड़ कर वापस चले गए.


बिना सप्लीमेंट ऑक्सीजन दिमाग पर पड़ा असर
बिना सप्लीमेंट ऑक्सीजन के पर्वत फतह करने की वजह से पर्वतारोही बलजीत कौर की मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ रहा था. उन्हें दिन के वक्त ही खुली आंखों से सपने आने लगे. इसके बाद बलजीत कौर वापस उतरते वक्त लापता हो गई. काफी देर बाद जब बलजीत को होश आया, तो उन्होंने अपने सेटेलाइट फोन से सिग्नल भेजे और सिग्नल के जरिए उन्हें ट्रैक किया जा सका.


सरकारी नौकरी देने की मांग
पर्वतारोही बलजीत कौर ने बताया कि अगर मैनेजमेंट की तरफ से उनके साथ किसी अनुभव वाले शेरपा को भेजा जाता, तो उनके साथ यह हादसा नहीं होता. हालांकि, वे इस हादसे के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहती. बलजीत कौर के वापस हिमाचल प्रदेश लौटने के बाद उन्हें सरकारी नौकरी देने की मांग भी जोरों से उठ रही है. हालांकि, इस बारे में बलजीत कौर का कहना है कि यदि सरकार ऐसा कर देती है, तो वे जरूर इसे स्वीकार करेंगी. लेकिन, फिलहाल उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है.



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