Water Supply in Shimla: राजधानी शिमला में लोगों को अब गर्मियों के मौसम में पानी की किल्लत से नहीं जूझना पड़ेगा. इसके लिए नगर निगम शिमला ने अभी से तैयारियां शुरु कर दी है. नगर निगम शिमला शहर के साथ लगते क्षेत्रों में प्राकृतिक चश्मों (Waterfalls)  से पानी एकत्र कर उसे शिमला तक लाने की योजना पर काम कर रहा है. नगर निगम मेयर सुरेंद्र चौहान ने उप महापौर उमा कौशल और नगर निगम के अन्य पार्षदों के साथ सियोग पेयजल परियोजना का दौरा किया. यहां अंग्रेजों के समय बने हुए टैंक में ढाई फुट तक पानी भर गया. ट्रायल के दौरान इसमें लीकेज नहीं पाई गई. 


मेयर सुरेंद्र चौहान के मुताबिक अब जल्द ही इसका टेंडर भी कर दिया जाएगा. इस टैंक में आने वाले समय में पानी भरने के बाद यहां से वाटर सप्लाई सीधा संजौली तक पहुंचाई जाएगी.


मौजूदा समय में संजौली में 10 एमएलडी की क्षमता वाला पानी का टैंक है. इसके बाद शहर को पानी की सप्लाई मिल सकेगी. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यहां लगभग 18 छोटे-बड़े प्राकृतिक चश्मे यानी झरने हैं. इन सभी चश्मों को जोड़कर एक बड़ा पेयजल स्रोत तैयार किया जाएगा. इससे तीन से चार एमएलडी पानी रोजाना शहर को मिल सकेगा. शिमला शहर में बरसात के दौरान पानी में सिल्ट आने के चलते लोगों को पानी की सप्लाई कम मिलती है. अमूमन बरसात में भी शहर में लोगों को पानी की राशनिंग से जूझना पड़ता है. पानी की कमी को दूर करने के लिए एडवांस में ही तैयारी शुरू कर दी है.


बरसात के दौरान भी सप्लाई में नहीं आएगी समस्या 


शिमला के मेयर सुरेंद्र चौहान ने एबीपी न्यूज को बताया कि उन्होंने सियोग परियोजना का दौरा उप महापौर, पार्षदों और अधिकारियों के साथ किया है. सियोग में अंग्रेजों के समय का बना हुआ टैंक है. इसकी मरम्मत का कार्य किया गया है और इसका ट्रायल किया गया. ट्रायल के दौरान टैंक में पानी की लीकेज नहीं हुई है. इस परियोजना के आसपास भी 18 के करीब छोटे-बड़े प्राकृतिक चश्मे हैं. इसका पानी एकत्रित कर शिमला के लिए लाया जाएगा, ताकि बरसात के समय जब पेयजल परियोजनाओं में गाद आने पर लोगों को यहां से पानी दिया जाएगा.


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