Himachal Pradesh News: विश्व भर में हिमाचल प्रदेश की पहचान देवभूमि के रूप में है. यहां कई ऐसे प्राकृतिक स्रोत हैं, जहां शुन्य से माइनस डिग्री तापमान में भी पानी गर्म रहता है. हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में गर्म पानी के ऐसे कुंड हैं, जहां प्राकृतिक तौर पर गर्म पानी मिलता है. यहां न लोग केवल आस्था की डुबकी लगाते हैं बल्कि मंदिर का प्रसाद भी इसी गर्म पानी में बनाया जाता है. आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग स्थान पर स्थित पानी के कुंड के बारे में बताएंगे.


मणिकर्ण में गर्म पानी का प्राकृतिक कुंड
हिमाचल के जिला कुल्लू के भुंतर से उत्तर पश्चिम में पार्वती घाटी में पार्वती नदी के किनारे बसा मणिकर्ण हिंदुओं और सिखों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है. समुद्र तल से छह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. मणिकर्ण भुंतर से 35 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां के गंधक युक्त पानी में स्नान कर कई प्रकार की बीमारियां भी दूर हो जाती हैं.


मणिकर्ण नाम कैसे पड़ा?
माना जाता है कि इस जगह का नाम मणिकर्ण माता पार्वती की बाली खो जाने के कारण पड़ा था. मान्यता यह भी है कि मनु ऋषि ने महाप्रलय के बाद मानव की रचना इसी स्थान पर की थी. मणिकर्ण में भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु, भगवान राम, भगवान शिव और माता नैना देवी के भी मंदिर हैं. सिख धर्म के गुरु नानक ने भाई मरदाना और पंच प्यारों के साथ यहां की यात्रा की थी.


मनाली से छह किलोमीटर दूर वशिष्ठ कुंड
जिला कुल्लू के मनाली से छह किलोमीटर की दूरी पर वशिष्ठ नामक स्थान में गर्म पानी का कुंड है. वशिष्ट कुंड पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है. ब्यास नदी के किनारे बने इस कुंड में गर्म पानी निकलता है. इस गर्म पानी के स्रोत को देखने और नहाने के लिए लोग दूर-दूर से वशिष्ट कुंड पहुंचते हैं.


कुल्लू में है प्रसिद्ध खीरगंगा ट्रैक
समुद्र तल से 13 हजार 051 फीट की ऊंचाई पर खीरगंगा स्थित है. खीरगंगा नेशनल पार्क जिला कुल्लू के भुंतर से उत्तर पश्चिम की ओर है. खीरगंगा पहुंचने के लिए दो दिन का पैदल ट्रैक पूरा कर पहुंचना पड़ता है. यहां आने के लिए अप्रैल से सितंबर तक का महीना सबसे उपयुक्त रहता है. खीरगंगा में मां पार्वती के मंदिर के साथ उनके बेटे भगवान कार्तिकेय की गुफा है. मंदिर के पास ही खीरगंगा में गर्म पानी का प्राकृतिक स्रोत है. खीरगंगा का यह स्रोत स्थानीय लोगों के लिए आस्था का अटूट केंद्र भी है. खास बात यह है कि माइनस डिग्री तापमान में भी खीर गंगा में पानी गर्म ही रहता है.


तत्तापानी में भी गर्म पानी का स्रोत
जिला मंडी के सरसों के साथ लगते सतलुज नदी के किनारे भी गर्म पानी का स्रोत है. इस इलाके को तत्तापानी कहा जाता है. तत्ता का शाब्दिक अर्थ भी गर्म होता है. तत्तापानी राजधानी शिमला से 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. अब तत्तापानी में कोल बांध बन जाने की वजह से गर्म पानी का स्रोत पानी में समा गया है, लेकिन इस पानी को पाइप के जरिए अभी-भी जीवंत रखने की कोशिश की गई है. पर्यटक दूर-दूर से तत्तापानी में स्नान करने के लिए आते हैं.


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