Shimla Kapda Bank: सर्दी का मौसम हर किसी को सुहावना लगता है. सर्दी आते ही पर्यटक भी सूटकेस पैक कर पहाड़ों का रुख कर लेते हैं, लेकिन आपको सुहावनी लगने वाली सर्दियां किसी के लिए जिंदगी बचाने की जंग भी बन जाती है. हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के ऊंचाई वाले इलाकों में हाड़ कंपा देने वाली ठंड में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनके पास ठंड से बचने के लिए कपड़े भी नहीं होते. शिमला (Shimla) में ऐसे प्रवासी लोगों की संख्या ज्यादा है.
जरूरतमंदों की मदद के लिए सामाजिक उत्थान क्षेत्र में काम कर रहे सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट ने कदम आगे बढ़ाया है. ट्रस्ट हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चों के सहयोग से कपड़ा बैंक की शुरुआत करने जा रहा है. यह कपड़ा बैंक राजधानी शिमला में 4 दिसंबर से शुरू होगा. इसमें लोग दूसरों की मदद के लिए अपने पुराने कपड़े दान कर सकेंगे. कहावत है कि आपका कचरा किसी के लिए खजाना हो सकता है. संभव है कि जिस कपड़े की आपको कोई आवश्यकता न हो, कोई दूसरा शायद उसका ही सपना देख रहा हो.
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लोगों से सहयोग की अपील
सुनील उपाध्याय एजुकेशन ट्रस्ट के सचिव प्रो. सुरेंद्र कुमार शर्मा ने सभी लोगों से भी आगे आकर सहयोग की अपील की है. उन्होंने कहा कि कपड़ा बैंक सभी लोगों की सहयोग से आगे बढ़ेगा. इस कपड़ा बैंक के जरिए उन लोगों तक पहुंचने की कोशिश की जाएगी, जिन्हें वास्तव में कपड़ों की जरूरत है. प्रो. सुरेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट लंबे समय से सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहा है. ट्रस्ट की तरफ से आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को पढ़ने में भी मदद की जाती है. कोरोना काल में भी सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट के कार्यकर्ताओं ने संक्रमित हुए लोगों के घर तक जाकर उन्हें खाना और दवाइयां पहुंचाने का काम किया था.
क्या होता है कपड़ा बैंक?
वित्तीय लेन-देन से जुड़े बैंक के बारे में तो आपने सुना होगा, लेकिन यह कपड़ा बैंक सामाजिक समरसता स्थापित करने वाला अद्भुत बैंक है. यहां कोई भी साधारण व्यक्ति अपने पुराने कपड़े को दान के रूप में दे सकता है. बैंक का संचालन करने वाले लोग इस कपड़े को उस व्यक्ति तक पहुंचाने का काम करते हैं, जिससे इसकी वास्तव में आवश्यकता होती है. यहां अपने पुराने कपड़े देते वक्त यह भी ध्यान में रखना जरूरी होता है कि कपड़ा वही दिया जाए, जो दूसरे के पहनने लायक हो.