NGT Orders for Kufri: शिमला से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर प्रमुख पर्यटन स्थल कुफरी है. यहां आने वाले पर्यटक कुफरी की खूबसूरत वादियों में घुड़सवारी का मजा लेते हैं. कुफरी की महासू पीक तक पहुंचाने के लिए घोड़े का सहारा लिया जाता है. जहां एक तरफ पर्यटकों के लिए यह रोमांच भरा सफर होता है. तो वहीं, स्थानीय लोगों के लिए यह रोजगार का एक बड़ा साधन है. मौजूदा वक्त में यहां 1029 घोड़े रजिस्टर हैं और इसे 12 पंचायत के लोगों का घर चलता है.
हाल ही में वन विभाग ने कुफरी में एक नोटिस चस्पा किया है. इस नोटिस में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों को लागू करने की बात कही गई है. नोटिस में लिखा गया है, "राष्ट्रीय हरित न्याय प्राधिकरण के तरफ से मूल आवेदन संख्या 187/2023 के अनुरूप 25 मई, 2023 और 12 जुलाई, 2023 को पर्यटन के लिए घोड़े के संबंध में आदेश जारी करते हुए कुफरी (महासू) वन क्षेत्र में तकनीकी रिपोर्ट के आधार पर 217 घोड़े की क्षमता तय की गई है. उपचारात्मक उपायों को ध्यान में रखते हुए कुफरी महासू वन क्षेत्र में 217 से अधिक घोड़े की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया जाता है. सभी से आग्रह है कि इन आदेशों की अनुपालना करें अन्यथा उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी". यह नोटिस वन मंडल अधिकारी ठियोग की ओर से दिया गया है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के हैं आदेश
आदेश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से मिले हैं. ऐसे में इनका सख्ती से पालन करवाया जाएगा. इससे इलाके के लोगों की रोजी-रोटी पर खतरा मंडराता हुआ नजर आ रहा है. घोड़ा संचालकों का कहना है कि मौजूदा वक्त में यहां 1029 घोड़े रजिस्टर हैं. अचानक से इनकी संख्या 217 कर देना सही नहीं है. इससे उनके सामने परेशानी खड़ी हो जाएगी. वे पंचायत को टैक्स देते हैं. इसके अलावा सफाई के लिए भी अलग फीस दी जाती है. ऐसे में सवाल यह है कि उनकी रोजी-रोटी पर आखिर क्यों लात मारी जा रही है?
क्या कहते हैं वन विभाग के अधिकारी?
वहीं, इस बारे में वन विभाग शिमला सर्कल के सीसीएफ के. थिरुमल ने बताया कि महासू और कुफरी में जिला प्रशासन की ओर से एक हजार से ज्यादा घोड़े को रजिस्टर किया गया है, लेकिन अब एनजीटी के आदेशों के मुताबिक यहां घोड़े की संख्या को सीमित कर 217 कर दिया गया है. ऐसे में इस आदेश को सख्ती से लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि घोड़ा संचालकों की परेशानी को देखते हुए घोड़े को रोटेशन पर काम करने के बारे में विचार किया जाएगा.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने क्यों जारी किया आदेश?
बता दें कि कुफरी में घोड़ों की संख्या को लेकर दिल्ली के वकील शैलेंद्र कुमार यादव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी. इस याचिका में कुफरी में घोड़े की आवाजाही नियंत्रित करने की वजह से पर्यावरण और वनस्पति को नुकसान होने की बात कही गई थी. याचिका में यह भी तर्क दिया गया था कि घोड़े की लीद की वजह से इलाके में गंदगी फैल रही है और इससे प्रदूषण हो रहा है. याचिका में तर्क दिया गया था कि लगातार बढ़ रहे प्रदूषण की वजह से कुफरी इलाके में बर्फबारी में कमी के साथ इलाके के जल स्रोत भी सूख रहे हैं.
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