Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में जारी सियासी संकट का पटाक्षेप होता दिख रहा है. सूत्रों ने बताया कि राज्य में सुखविंदर सिंह सुक्खू की कुर्सी पर मंडरा रहा संकट दूर हो गया है. दरअसल विधायकों की नाराजगी के बाद ऐसी चर्चा होने लगी थी कि सुक्खू को बदलकर राज्य में नए चेहरे को कमान दी जा सकती है.
सूत्रों के मुताबिक, इस बीच प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला और सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू को बदलने पर फुल स्टॉप लगा दिया. सूत्रों ने बताया कि प्रियंका गांधी सुक्खू को हटाने के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं हैं. सूत्रों ने यह भी कहा कि हिमाचल के 40 विधायकों में 25 सुक्खू के समर्थन में हैं.
सूत्रों ने बताया कि प्रियंका गांधी ने सीएम सुक्खू को संगठन का एक मजबूत चेहरा माना और कहा कि चार बार विधायक चुने जाने के बावजूद उन्होंने कभी मंत्री पद के लिए विद्रोह नहीं किया.
विक्रमादित्य सिंह से हुई प्रियंका गांधी की बात
सूत्रों ने यह भी दावा किया कि प्रियंका गांधी ने हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उनके मंत्री बेटे विक्रमादित्य सिंह से खुद बात की. बता दें कि विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा देने के एलान के वक्त बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी कहा था कि उनकी प्रियंका गांधी से बात हुई है.
हिमाचल कांग्रेस में संकट जो राज्यसभा चुनाव के दौरान मंगलवार को शुरू हुई थी, बुधवार शाम होते-होते खत्म होती दिखी. दरअसल, संकट का आभास होते ही आलाकमान ने दो अनुभवी नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और डीके शिवकुमार को शिमला भेजने का फैसला किया. उनके साथ राजीव शुक्ला और भूपेश बघेल को भी स्थिति काबू में करने के लिए लगाया गया.
विक्रमादित्य सिंह के कदम ने सियासी तापमान बढ़ाया
इस बीच ही विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफा देकर हिमाचल का सियासी तापमान बढ़ा दिया. हालांकि बाद में पर्यवेक्षकों से चर्चा और सुक्खू की नरम भरे बयान के बाद अपना इस्तीफा वापस ले लिया. सिंह ने कहा कि संगठन से बड़ा कुछ नहीं होता है.
बता दें कि प्रियंका गांधी ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभाई थी. राज्यसभा चुनाव के बाद भी उन्होंने मोर्चा संभाला.