Himachal Pradesh: सरकारी स्कूल टीचर का वो नारा, जिसने हिमाचल के 'ओल्ड पेंशन स्कीम' आंदोलन को दिलाई पहचान
शिक्षक ओम प्रकाश शर्मा पर हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की तत्कालीन सरकार ने विधानसभा के बाहर नारेबाजी करने के लिए आपराधिक मामला दर्ज किया था. इसके लिए उन्हें अदालत से जमानत भी लेनी पड़ी थी.
Himachal Pradesh Old Pension Scheme Movement: हिमाचल प्रदेश में अपने वादे के मुताबिक कांग्रेस (Congress) सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) की बहाली कर दी है. साल 2003 में केंद्र सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को बंद किया था. हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली के लिए पहली बार साल 2015 में कर्मचारी एकजुट हुए थे, लेकिन इस आंदोलन में साल 2021-22 में तेजी देखने को मिली. साल 2022 में 23 फरवरी से 3 मार्च तक मंडी (Mandi) से शिमला (Shimla) तक चली पदयात्रा ने न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी संघ के इस आंदोलन को नया मोड़ दिया.
इस नए मोड़ में एक पहाड़ी नारे ने हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली के आंदोलन को पूरे देश भर में पहचान दिला दी. 3 मार्च को विधानसभा के घेराव के दौरान सिरमौर के सरकारी स्कूल के एक शिक्षक ओम प्रकाश शर्मा ने पहाड़ी बोली में नारा दिया. इस नारे ने न केवल हिमाचल प्रदेश में बल्कि देशभर में अपनी जगह बनाई. सरकारी शिक्षक ओम प्रकाश शर्मा ने नारा दिया 'जोइया मामा मानदा नहीं, कर्मचारियों को शुणदा नहीं', 'जोइया मामा मानी जा, पुरानी पेंशन पाछू ला'. हिन्दी में इसका मतलब था- जयराम ठाकुर मानते नहीं, कर्मचारियों की बात सुनते नहीं.
विधानसभा सत्र के दौरान भी सुनाई दी नारे की गूंज
सरकारी शिक्षक ओम प्रकाश शर्मा का सिरमौरी बोली में लगाया गया यह नारा न केवल हिमाचल प्रदेश के आम आदमी के मुंह पर चढ़ गया बल्कि विधानसभा में भी इसकी गूंज सुनाई दी. नेता प्रतिपक्ष रहे मुकेश अग्निहोत्री तो विधानसभा में सदन के अंदर अपने संबोधन के दौरान इस नारे का जिक्र कर दिया था. शुरुआत में इस नारे से असहज नजर आने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी सिरमौर जाकर इस नारे को अपना लिया था. उन्होंने सिरमौर जाकर खुद को मामा और सिरमौर के लोगों को अपना भांजा बताया.
नारा लगाने के लिए ओमप्रकाश पर दर्ज हुआ था मामला
तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने भांजों का ध्यान रखने की बात कही थी. ओम प्रकाश शर्मा को इस नारे के बाद ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली आंदोलन के चेहरे के रूप में भी देखा जाने लगा. इस नारे ने भले ही सरकारी शिक्षक ओम प्रकाश शर्मा को देश-प्रदेश में लोकप्रिय बनाया, लेकिन इस नारे की वजह से ही उन्हें परेशानी का सामना भी करना पड़ा. ओम प्रकाश शर्मा पर तत्कालीन सरकार ने विधानसभा के बाहर नारेबाजी करने के लिए आपराधिक मामला दर्ज किया था. इसके लिए उन्हें अदालत से जमानत भी लेनी पड़ी.
सरकार ने कर दिया था ट्रांसफर
इसके बाद तत्कालीन सरकार ने उनका ट्रांसफर भी किया. इसके लिए भी ओम प्रकाश शर्मा को हाइकोर्ट तक जाकर राहत लेनी पड़ी. हालांकि ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली के लिए 1.36 लाख कर्मचारियों का बड़ा योगदान है, लेकिन 3 मार्च 2022 की इस घटना को ओल्ड पेंशन स्कीम बहाली के आंदोलन का महत्वपूर्ण दिन माना जाता है.
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