Himachal Politics: क्रॉस वोटिंग के आरोप में बर्खास्त किए गए विधायकों का रिएक्शन, बोले- ‘कोई गद्दार और बिका हुआ बोलेगा लेकिन...’
Himachal Political Crisis: अयोग्य घोषित किए गए विधायक इंदर दत्त लखनपाल और विधायक राजिन्द्र राणा की प्रतिक्रिया सामने आई है. लखनपाल ने कहा उनके हिसाब से कुछ भी हो, लेकिन ना अब बागी है ना ही गद्दार है.
Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश की राजनीति की उथल-पुथल धीरे-धीरे कम किए जाने के प्रयास किए जा रहे है. क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया है. उन्हीं में से एक विधायक इंदर दत्त लखनपाल की प्रतिक्रिया सामने आई है. जब उनसे पूछा गया कि आपको बागी कहा जा रहा है. इसपर उन्होंने कहा कि राजनीतिक घटनाक्रम में जब इस तरह की घटनाएं घटित होती है, तो कई प्रकार की उपाधियां दी जाती है. कोई गद्दार बोलेगा, कोई बिका हुआ, कई प्रकार की बातें हम सुन रहे है उनको तो स्वीकार करना पड़ता है.
‘अपनी अंतरात्मा की आवाज से हमने क्रॉस वोटिंग की’
विधायक इंदर दत्त लखनपाल ने आगे कहा कि उनके हिसाब से कुछ भी हो सकता है लेकिन ना अब बागी है ना ही गद्दार है. गद्दारी तो तब होती है जब हमने देश से गद्दारी की हो. अपनी अंतरात्मा की आवाज से हमने क्रॉस वोटिंग की. वो हमारा अपना व्यक्तिगत निर्णय था. ना हमें किसी ने समझाया, ना हम किसी की समझ से चलते है, लेकिन जब इस प्रकार का घटनाक्रम हो जाता है तो जाहिर है कि दूसरी तरफ से प्रतिक्रिया होनी आवश्यक थी और वो हुई है और उसका हमें कोई मलाल नहीं है. हमें पत्ता था कि ऐसा होगा.
‘पूरी घटना के लिए हाईकमान सबसे ज्यादा दोषी’
इंदर दत्त लखनपाल से जब उनसे पूछा गया कि मुख्यमंत्री की तरफ से कहा जा रहा है कि इनकी अंतरात्मा बिक चुकी है. इसपर जवाब देते हुए उन्होंने कहा की अंतरात्मा कभी बिकती नहीं है. अंतरात्मा अंदर से एक विश्वास पैदा करती है कि आपको ये काम करना है. मुख्यमंत्री मेरे मित्र के जैसे है. लेकिन पूरा जो घटनाक्रम हुआ है उसके लिए हाईकमान सबसे ज्यादा दोषी है.
‘बार-बार हमें जलील और अपमानित किया गया’
वहीं अयोग्य घोषित किए गए विधायक राजिन्द्र राणा ने कहा कि सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने हमें जलील किया, अपमानित किया, काम नहीं किए. हमारी विधानसभा के वोटर ने जिस उम्मीद के साथ हमें विधानसभा भेजा था उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया. हमने हिमाचल प्रदेश और जनता के मान-सम्मान को बरकरार रखने के लिए यह निर्णय लिया है.
हिमाचल प्रदेश एक 'देवभूमि' है. क्या कांग्रेस पार्टी के पास उन कार्यकर्ताओं में से कोई उम्मीदवार नहीं था जिन्होंने (हिमाचल में) पार्टी को खड़ा करने में मदद की, जो राज्यसभा में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर सके?
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