Himachal Pradesh Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर से अभी संकट टला नहीं है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस सरकार अभी भी खतरे में है. कांग्रेस के कई विधायक बागियों के संपर्क में हैं. गुरुवार (29 फरवरी) को पर्यवेक्षकों के साथ हुई बातचीत नाकाम रही. मुख्यमंत्री बदलने पर विक्रमादित्य सिंह का कैंप और बागियों का खेमा अड़ा हुआ है.
मंत्री विक्रमादित्य सिंह गुरुवार को रात 12 बजे पंचकूला पहुंचे. यहां विक्रमादित्य सिंह ने बागी विधायकों से मुलाकात की. जबकि दूसरी प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह ने कहा कि संकट को खत्म मान लेना जल्दबाजी होगी. दरअसल हिमाचल में कुछ दिनों से कांग्रेस में सियासी उठापटक चल रही है. यहां मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने 28 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था और आरोप लगाया था कि कैबिनेट के मंत्रियों में समन्वय की कमी है और उन्हें मंत्री होने के बावजूद अपमानित होना पड़ा.
पार्टी ने दावा किया पांच साल चलेगी सरकार
हालांकि, विक्रमादित्य के इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया गया. इसके बाद सीएम सुक्खू ने विक्रमादित्य सिंह को अपना छोटा भाई बताया. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह हमारे जनादेश को न चुराए और हमें हमारा काम करने दे. वहीं कांग्रेस नेतृत्व ने सियासी संकट के बीच पर्यवेक्षक के रूप में डीके शिवकुमार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को शिमला भेजा था, जिन्होंने सभी विधायकों और सीएम से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई, जिसमें दावा किया गया कि सरकार पांच साल चलेगी और सबकुछ ठीक है.
क्रॉस वोटिंग से शुरू हुई सियासी उठापटक
बता दें कि हिमाचल प्रदेश की सरकार का यह संकट तब शुरू हुआ जब हिमाचल की एक सीट पर राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. इस हार के बड़े चर्चे इसलिए हुए क्योंकि कांग्रेस यहां बहुमत में है, जबकि बीजेपी के सिर्फ 25 विधायक ही थे. कांग्रेस के 6 विधायकों ने बगावत कर दी. इस तरह कांग्रेस के छह और तीन निर्दलीयों विधायकों ने चुनाव से जस्ट पहले खेमा बदल लिया और बीजेपी के लिए क्रॉस वोटिंग कर दी. इसके चलते बीजेपी के उम्मीदवार जीत गए. इसके बाद से कांग्रेस की सुक्खू सरकार पर खतरा मंडरा रहा है.
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