Himachal News: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को आ गए थे. 11 दिसंबर को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने पद और गोपनीयता की शपथ भी ले ली. हैरानी की बात है कि अब तक हिमाचल प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो सका है. हिमाचल कांग्रेस विधायकों के साथ जनता को भी प्रदेश मंत्रिमंडल के विस्तार का इंतजार है. अब तक नई सरकार की एक भी मंत्रिमंडल बैठक नहीं हो सकी है.
25 दिसंबर को राज्य से बाहर जा रहे हैं राज्यपाल
दिल्ली में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि मंत्रिमंडल का विस्तार विधानसभा सत्र के बाद ही होगा. पहले विधानसभा सत्र 22 दिसंबर से 24 दिसंबर तक होना था, लेकिन मुख्यमंत्री के पॉजिटिव होने से सत्र स्थगित हो गया. अब ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार भी आगे बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर भी 25 दिसंबर से गृह राज्य गोवा जा रहे हैं. ऐसे में अब मंत्रिमंडल विस्तार अगले साल पर टलता नजर आ रहा है. अगर मंत्रिमंडल विस्तार पहले हो भी जाता है, तो शपथ जनवरी में ही हो सकेगी. इससे पहले मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण की चर्चा 24 दिसंबर को थी, लेकिन मुख्यमंत्री अब तक कोरोना नेगेटिव नहीं हो सके हैं.
क्या इसलिए हो रही है देरी?
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 40 विधायक जीत कर आए हैं. इनमें कई कद्दावर नेता भी शामिल रहे हैं. मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की शपथ के बाद अब मंत्रिमंडल में 10 ही नेताओं की जगह बची है. ऐसे में आलाकमान और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को साधने के साथ कद्दावर नेताओं को एडजस्ट करने की चुनौती हो गई है. कांग्रेसी यह तय नहीं कर पा रही है कि किसे मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए और किसे बाहर रखा जाए. सबसे बड़ा पेंच जिला शिमला में है. यहां कांग्रेस को कुल 8 में से 7 सीट पर जीत मिली है. इन 7 विधायकों में 5 मंत्रिमंडल की रेस में शामिल हैं. इसी तरह हिमाचल प्रदेश की सत्ता का रास्ता खोलने वाले जिला कांगड़ा में भी मंत्री पद के ज्यादा दावेदार होने की वजह से अंतिम फैसला नहीं हो पा रहा है.
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