Himachal Pradesh Politics: देश की राजनीति पर अगर नजर डाली जाए, तो यहां बड़े नेताओं की प्रतिमा स्थापित करने की राजनीति बेहद पुरानी है. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी नेताओं की प्रतिमा स्थापित करने की रवायत पुरानी रही है. यहां अब प्रतिमा स्थापित करने के नाम पर सियासी जंग भी छिड़ती हुई नजर आ रही है. 


हाल ही में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपने दिवंगत पिता छह बार के मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह की प्रतिमा स्थापित करने की मांग उठाई. यह प्रतिमा रिज पर स्थापित करने की मांग है. इस संदर्भ में नगर निगम शिमला भी प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार को भेज चुका है, लेकिन अब तक यह प्रतिमा स्थापित नहीं हो सकी है.


आखिर रिज पर ही क्यों लगाना चाहते हैं नेता? 
शिमला के रिज मैदान पर यह प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव है. हिमाचल प्रदेश और शिमला के लिए रिज का अत्यधिक महत्व है. यहां आने वाला हर पर्यटक सबसे पहले रिज ही घूमने के लिए पहुंचता है. शिमला के रिज की पहचान यहां बना सालों पुराना क्राइस्ट चर्च है और इसी के आसपास नेताओं की यह प्रतिमा भी स्थापित की गई है.


रिज उस हिस्से को कहा जाता है, जो पहाड़ काटकर समतल किया गया हो. शिमला के रिज मैदान पर राष्ट् स्तर के साथ प्रदेश स्तर के नेताओं की भी प्रतिमा स्थापित है.


रिज मैदान पर किन नेताओं की पतिमा है?
शिमला के रिज मैदान पर सबसे पहले और पुरानी प्रतिमा राष्ट्रपिता मोहन दास करमचंद गांधी की है. कांस्य की यह प्रतिमा 2 सितंबर, 1956 को 11 हजार 250 में खरीदी गई थी. इसके अलावा यहां सैन्य योद्धा लेफ्टिनेंट जनरल दौलत सिंह की भी प्रतिमा स्थापित की गई है. रिज मैदान के दौलत सिंह पार्क में हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रहे डॉ. यशवंत सिंह परमार की प्रतिमा है. 


इसके अलावा रिज के ही पद्मदेव परिसर के टेरेस पर पूर्व प्रधानमंत्री देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री भारत अटल बिहारी वाजपेई की भी प्रतिमा है. इसके अलावा शिमला के स्कैंडल पॉइंट पर लाला लाजपत राय और सीटीओ चौक पर लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा है. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की प्रतिमा भी छोटा शिमला इलाके में लगाई गई है. एक हैरानी की बात यह है कि शिमला के आसपास के इलाके में कहीं भी पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा नहीं है.


अब किन नेताओं की प्रतिमा स्थापित करने की मांग?
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह के अलावा शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने भी अपने दादा और पूर्व में मुख्यमंत्री रहे रामलाल ठाकुर की प्रतिमा स्थापित करने की बात कही है. इसके अलावा आश्रय शर्मा भी अपने दादा पंडित सुखराम की प्रतिमा स्थापित करने की मांग कर चुके हैं. आश्रय शर्मा की मांग तो दोहरी है. 


वह शिमला के साथ मंडी में भी पंडित सुखराम की प्रतिमा स्थापित करवाना चाहते हैं. पंडित सुखराम हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ केंद्र सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे. देश भर में उनकी पहचान दूरसंचार क्रांति के लिए है. हाल ही में हिमाचल प्रदेश में सब बागवानी की नींव रखने वाले विद्यानंद स्टोक्स की प्रतिमा स्थापित करने की भी मांग होती है.


प्रतिमा स्थापना के नाम पर सियासी लड़ाई!
दरअसल, प्रतिमा स्थापित करने से ज्यादा यह सियासत की लड़ाई है. जानकार मानते हैं कि यह सभी नेता अपने अपने सियासी लाभ के लिए प्रतिमा स्थापित करने की इस लड़ाई को जन्म दे रहे हैं. सरकार पर भी इसका खासा दबाव है, क्योंकि इन सभी नेताओं का प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम है. सियासत के जानकारों का यह भी कहना है कि प्रदेश में प्रतिमा स्थापित करने से ज्यादा लड़ाई बेरोजगारी युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए लड़ी जानी चाहिए.


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