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Himachal Beer Ban: इस पंचायत में सार्वजनिक समारोह में बीयर पिलाने पर रोक, बढ़ा दिए गए दूध के भी दाम
लाहौल स्पीति घाटी में युवाओं में नशे का प्रचलन चिंता का विषय बना हुआ है. ऐसे में पंचायत के लोगों ने यह फैसला लिया कि युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए सार्वजनिक समारोह में बीयर पिलाने पर रोक लगाई जाए.
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Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश का जनजातीय जिला लाहौल स्पीति अपनी अनूठी परंपरा और संस्कृति के लिए जाना जाता है. वहीं अब लाहौल घाटी की केलांग पंचायत ने शादी समारोह गोची और अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों में बीयर परोसने पर रोक लगा दी है. इसके अलावा पंचायत ने स्थानीय दूध के दाम को भी 40 रुपए प्रति लीटर से बढ़ाकर 50 रुपए प्रति लीटर कर दिया है. यह फैसला ग्राम सभा की अहम बैठक में लिया गया.
हिमाचल प्रदेश के साथ लाहौल स्पीति घाटी में भी युवाओं के बीच नशे का बढ़ता हुआ प्रचलन चिंता का विषय बना हुआ है. ऐसे में पंचायत के लोगों ने यह फैसला लिया कि युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए सार्वजनिक समारोह में बीयर पिलाने पर रोक लगाई जाए. पंचायत का कहना है कि युवाओं का रुझान में नशे के प्रति लगातार बढ़ता चला जा रहा है. ऐसे में युवाओं को नशे से बचाने के लिए यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है. इसके अलावा पशुपालकों को सुदृढ़ करने के लिए स्थानीय दूध का दाम भी 10 रुपये प्रति लीटर बढ़ाया गया है, ताकि इससे पशुपालकों को फायदा हो सके.
जनजाति इलाकों में बढ़ता मॉडर्न ट्रेंड भी चिंता का विषय
लाहौल घाटी की परंपरा अपने आप में बेहद अनूठी है. इस परंपरा को कायम रखने के लिए पंचायत ने यह फैसला लिया है. सोशल मीडिया के इस दौर में जनजातीय इलाकों में भी बाहरी मॉडर्न ट्रेंड देखा का असर देखने को मिल रहा है. इस असर को कम करने के लिए पंचायत इस दिशा में भी आगे बढ़ रही है. इससे पहले जिला किन्नौर की हंगरंग वैली में भी मॉडर्न शादी करने पर रोक लगाई गई थी. जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के कई पंचायतों में महिलाओं ने जंगल में पेड़ कटान करने पर भी प्रतिबंध लगा रखा है. यदि कोई अवैध रूप से पेड़ काटता है, तो पंचायत अपने स्तर पर उसके खिलाफ कार्रवाई करती है. इसके अलावा गुपचुप तरीके से जंगलों में किए जाने वाला शिकार भी पंचायतों की नजर में है.
अन्य पंचायतों में भी लिया जा सकता है फैसला
वन विभाग तो अपनी तरफ से मामले में कार्रवाई करता ही है, लेकिन पंचायत भी अपने स्तर पर कार्रवाई करने और सरकार प्रशासन को इस बारे में जानकारी देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. लाहौल स्पीति में पाए जाने वाले आईबैक्स और हिरण जैसे जानवरों की संख्या भी इस प्रतिबंध के बाद बढ़ी है. लाहौल घाटी की केलंग पंचायत के इस फैसले का जनजातीय समाज के लोगों ने स्वागत किया है. भविष्य में अन्य पंचायत भी इस फैसले को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाने पर विचार कर रही है.
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