Shimla Lalpani Shool News: आजादी से पहले जब पूरे देश में शिक्षा का अभाव था और स्कूलों की कमी थी. उस समय सिमला शिक्षा का हब हुआ करता था. ब्रिटिश शासन काल का सिमला और भारत का शिमला आज भी शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर खड़ा है. शिमला में आज भी कई ऐसे स्कूल हैं, जो डेढ़ सौ साल पहले बने थे. साल 1859 में बना बिशप कॉटन स्कूल, साल 1866 में बना ऑकलैंड हाउस स्कूल, साल 1925 में बना सेंट एडवर्ड्स स्कूल और साल 1848 में बना लालपानी स्कूल.


शिमला के इन मशहूर स्कूलों से शिक्षा ग्रहण करने के बाद विद्यार्थियों ने अपने अपने क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया. शिमला के इन सभी कॉन्वेंट स्कूल के बीच यहां सिर्फ लालपानी स्कूल ही एक अकेला सरकारी स्कूल है. इस स्कूल की दिलचस्प बात यह है कि प्रदेशभर से बच्चे यहां पढ़ने के लिए आते हैं. अमूमन देखा गया है कि 10 वीं तक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई के बाद बच्चे 11वीं-12वीं लालपानी स्कूल से पूरी करना चाहते हैं.


पाकिस्तान में किया था तख्तापलट 


1930 के दशक में जिया-उल-हक जब शिमला के लालपानी स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे, उस समय शायद किसी ने यह सोचा भी नहीं होगा कि पहाड़ों की गोद में पढ़ने वाला यह साधारण बच्चा आगे चलकर पाकिस्तान में तख्तापलट करेगा. आखिर यह कोई सोचता भी कैसे? क्योंकि उस समय तक पाकिस्तान का जन्म भी नहीं हुआ था. आजादी से पहले जिया-उल-हक लालपानी स्कूल में पढ़ाई करते थे. हक इसी लालपानी स्कूल के मैदान में खेल कर बड़े हुए.


स्कूल से भागने पर मिली सजा 


3 अप्रैल, 1939 को जब जिया-उल-हक दसवीं क्लास में थे, उस समय उन्हें स्कूल से भागने पर सजा मिली. इसके लिए जिया-उल-हक को उस वक्त दो आने का जुर्माना चुकाना पड़ा था. यहीं से उन्होंने स्कूली पढ़ाई पूरी की और विभाजन के बाद जिया उल हक पाकिस्तान चले गए. बताया जाता है कि तानशाह जिया-उल-हक एक बार शिमला आकर अपने इस स्कूल का भी दीदार करना चाहते थे, लेकिन 17 अगस्त 1988 को विमान दुर्घटना में उनका निधन हो गया और उनकी इच्छा अधूरी रह गई.


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