Himachal Pradesh News: शिमला नगर निगम की ओर से शहर भर में कूड़ा उठाने वाली 70 गाड़ियों में अब GPS और RFID तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. शहर भर की सफाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली इन गाड़ियों में अब गड़बड़ी की आशंका कम होगी. दरअसल, शिमला नगर निगम की गाड़ियों में डीजल डलवाने के वक्त गड़बड़ी होने के चलते शिमला नगर निगम प्रशासन ने यह महत्वपूर्ण फैसला लिया है. इस आधुनिक तकनीक के चलते नगर निगम शिमला हर महीने लगने वाली तीन लाख की चपत से बच सकेगा.
क्या है GPS और RFID तकनीक?
नगर निगम शिमला की 70 गाड़ियों में लगने वाले जीपीएस से गाड़ी की लोकेशन ट्रेस करने में आसानी होगी. जीपीएस से पता चल सकेगा कि गाड़ी कितने किलोमीटर कहां से कहां तक चली. इसके साथ ही चंडीगढ़ नगर निगम की तर्ज पर RFID तकनीक के जरिए डीजल भरने की जानकारी मिल सकेगी. RFID यानी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए गाड़ी के डीजल टैंक पर रिंग इंस्टॉल की जाएगी, जो डीजल भराने की जानकारी के साथ उसके दाम की भी आसानी से जानकारी दे देगी.
क्यों महसूस हुई तकनीक के इस्तेमाल की जरूरत?
दरअसल, नगर निगम की जांच में यह पाया गया कि शहर में कूड़ा उठाने के लिए चलने वाली 70 गाड़ियों में से 22 के स्पीडोमीटर खराब हैं. मीटर खराब होने के बावजूद चालक मनमर्जी से रोजाना मीटर रीडिंग भरकर बिल पास करवाते रहे. नगर निगम प्रशासन इस बात से भी हैरान है कि आखिर एक साथ 22 गाड़ियों के मीटर कैसे खराब हो गए. कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों का बिल नगर निगम प्रशासन को हर महीने सात लाख तक पढ़ रहा था, लेकिन जांच के बाद अब यह बिल तीन लाख रुपए तक घट गया है. नगर निगम प्रशासन अब यह पता करने में जुट गया है कि आखिर यह मीटर कब से खराब थे और फर्जी रीडिंग के जरिए बिल पास करवाए जाते रहे.