Himachal Pradesh State Disaster Management Authority Meeting: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) राज्य सचिवालय में शनिवार को राज्य आपदा प्राधिकरण (State Disaster Management Authority) की बैठक हुई. बैठक करीब तीन साल के लंबे अंतराल के बाद हुई. इससे पहले पूर्व भाजपा सरकार के दौरान कोरोना काल में यह बैठक हुई थी. इस बैठक में आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर अहम चर्चा हुई. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू  (Sukhvinder Singh Sukh)ने आपदा से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की और साथ ही प्रो-एक्टिव होकर नुकसान कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई पर जोर दिया.


सरकार प्राकृतिक आपदा को तो नहीं रोक सकती, लेकिन इससे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है. आपदा के दौरान जान-माल का नुकसान कम से कम हो, इसके लिए सरकार आधुनिक तकनीक पर काम करने जा रही है. आधुनिक तकनीक की मदद से मौसम संबंधी पूर्व अनुमान के लिए अत्याधुनिक और प्रौद्योगिकी आधारित प्रणाली विकसित करना जरूरी है. हिमाचल प्रदेश के बर्फ वाले पांच क्षेत्र ऐसे हैं, जहां ऑटोमेटिक मौसम पूर्व अनुमान प्रणाली स्थापित होना प्रस्तावित है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बैठक में कहा कि जलवायु परिवर्तन भी गंभीर समस्या है और इसे पार पाना भी सरकार बेहद जरूरी है. जानकारी यह भी है कि सरकार पहाड़ों में निर्माण के नियमों को भी जल्द सख्त करने जा रही है.


हिमाचल को 12 हजार करोड़ से ज्यादा के नुकसान का अनुमान
बीते दिनों बारिश की वजह से हिमाचल प्रदेश को भारी नुकसान हुआ है. प्रदेश सरकार अब तक आठ हजार करोड़ रुपए का नुकसान झेल चुकी है. बकौल मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू यह नुकसान 12 हजार करोड़ रुपए पर होने का अनुमान है. हिमाचल प्रदेश में हुई बारिश की वजह से कई बांधों में भी पानी बढ़ाने की वजह से बांध के गेट खोलने पड़े. इसकी वजह से जिला कांगड़ा के फतेहपुर और इंदौरा में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस बात पर भी जोर दिया है कि बांधों का पानी एक साथ छोड़ने की बजाय रुक-रुक कर छोड़ा जाए, ताकि नुकसान को सीमित किया जा सके.


आपदा के बाद नुकसान कम करने पर जोर
इसके अलावा सरकार पूरे प्रदेश में 47 हजार 390 स्वयंसेवियों को प्रशिक्षण भी दे रही है, ताकि आपदा प्रभावितों को मदद आसानी से पहुंच सके. बता दें कि हिमाचल प्रदेश सरकार राजीव गांधी राजकीय डे-बोर्डिंग स्कूल योजना के तहत जिन भवनों का निर्माण किया जा रहा है, वे भी भूकंपरोधी होंगे. इसके अलावा सरकार बादल फटने की घटनाओं के पूर्व सूचना से संबंधित प्रणाली को भी विकसित करने जा रही है, ताकि नुकसान को कम किया जा सके.


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