Himachal Pradesh: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले 54 साल हो गए हैं. हिमाचल प्रदेश का पांच दशक से ज्यादा का यह सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा. 25 जनवरी 1971 को वह ऐतिहासिक दिन था, जब देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य बनाने की घोषणा की थी. उस वक्त रिज मैदान पर तापमान माइनस डिग्री था और आसमान से बर्फ गिर रही थी. इंदिरा गांधी भी कई मुश्किलों के बाद अनाडेल से रिज मैदान तक पहुंच पाई थीं.


हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के खिलाफ कई संस्थाएं थी. बावजूद इसके लंबे संघर्ष के बीच हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया. 15 अप्रैल 1948 को 30 छोटी-बड़ी पहाड़ी रियासतों को मिलाकर हिमाचल के कमिश्नर प्रोविंस के रूप में अस्तित्व में आया था. महासू, मंडी, चंबा और सिरमौर को अलग-अलग जिलों का दर्जा दिया गया था. उस समय हिमाचल प्रदेश का क्षेत्रफल 10 हजार 451 वर्ग मील और जनसंख्या सिर्फ 9 लाख 83 हजार 367 थी. साल 1950 में हिमाचल प्रदेश को सी स्टेट का दर्जा देकर यहां विधानसभा के गठन का प्रावधान किया गया.


देश का 18वां राज्य बना था हिमाचल प्रदेश


शिमला के ऐतिहासिक टका बेंच से जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य बनाने की घोषणा की, तब वहां मौजूद हर शख्स खुशी से झूम उठा. खुद इंदिरा गांधी ने वहां स्थानीय महिलाओं के साथ नाटी डाली. इससे पहले इंदिरा गांधी यहां खुली जीप में रोड शो करते हुए रिज पर पहुंची थी. इंदिरा गांधी की ओर से इस बड़ी घोषणा के बाद हिमाचल प्रदेश भारत के 18वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. तब से लेकर अब तक हिमाचल प्रदेश ने कई बड़े उदाहरण स्थापित किए हैं. कई मुश्किलों के बावजूद हिमाचल प्रदेश ने कभी अपने कदम पीछे नहीं हटाए और निरंतर आगे बढ़ता चला जा रहा है.


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