Himachal Pradesh SCA Election: हिमाचल में छात्र राजनीति से शुरुआत करने के बाद सुखविंदर सिंह सुक्खू आज प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर हैं. अब ऐसे में प्रदेश के छात्र संगठनों में भी छात्र संघ चुनाव बहाली की उम्मीद जाग उठी है. छात्र संघ चुनाव में हिंसक घटनाओं के चलते साल 2014 में तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने प्रदेश के शिक्षा संस्थानों में छात्र संघ चुनाव पर रोक लगा दी थी. हिमाचल प्रदेश में लगतार छात्र संघ चुनाव बहाली की मांग उठती रही, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला.


साल 2017 में सत्ता में आने से पहले बीजेपी ने छात्र संघ चुनाव बहाल करने का वादा भी किया था. बीजेपी सरकार ने पांच के कार्यकाल समाप्त होने तक कोई कदम नहीं उठाया. अब प्रदेश में फिर सत्ता परिवर्तन हुआ है. कभी खुद छात्र संघ का हिस्सा रहे सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री के शीर्ष पद पर हैं. ऐसे में एनएसयूआई, एबीवीपी और एसएफआई सभी मुख्यमंत्री सुक्खू से चुनाव बहाली की उम्मीद लगाए बैठे हैं. सभी छात्र संगठन एक सुर में प्रदेश में छात्र संघ चुनाव पुनः बहाल करने की मांग कर रहे हैं.


'छात्रों का अधिकार नहीं छीन सकती सरकार'


हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों का कहना है कि छात्रसंघ चुनाव के जरिए ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के साथ अन्य नेताओं को राजनीति में आगे बढ़ने का मौका मिला. छात्र संगठन के साथ जुड़े हुए सभी छात्र भी इसके अधिकारी हैं. उन्हें भी मौका दिया जाना चाहिए. छात्र संगठनों का कहना है कि चुनाव न होने की वजह से के पदाधिकारियों को नामित किया जाता है. यह नामित पदाधिकारी छात्रों की मांगों को भी प्रशासन के सामने नहीं रखते. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के साथ अभी कॉलेजों में छात्रहित के लिए छात्र संघ चुनाव बहाल होना जरूरी है.


साल 2014 से बंद हैं छात्र संघ चुनाव 


साल 2014 में बढ़ती हिंसा के चलते हिमाचल प्रदेश की तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने छात्र संगठन चुनावों पर प्रतिबंध लगा दिया था. बीते आठ साल में छात्र संगठन लगातार चुनाव बहाल करने की मांग कर रहे हैं. छात्र संगठनों का कहना है कि हिंसा तो विधानसभा और पंचायत चुनाव में भी देखने को मिलती है. सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखना भी सरकार-प्रशासन का काम है. सरकार छात्र संगठन को उनके अधिकारों से वंचित नहीं रख सकती. ऐसे में छात्रों के अधिकारों को बहाल करते हुए छात्र संगठन चुनाव बहाल किए जाने चाहिए.


Himachal News: किन्नौर में आज भी इस्तेमाल होती है वजन मापने की ये पुरानी तकनीक, जानिए- क्या है इसका इतिहास