Himachal: सुक्खू सरकार का सालभर पहले किया वादा अधूरा! जाखू में 111 फीट ऊंची श्रीराम मूर्ति की स्थापना का इंतजार
Jakhu Temple Shimla: हिमाचल सरकार ने एक साल पहले जाखू में भगवान श्रीराम की मूर्ति स्थापित करने की बात कही थी. अब तक वादा पूरा नहीं हुआ है. रामभक्तों को इसका बेसब्री से इंतजार है.
Himachal Pradesh News: शिमला समेत हिमाचल प्रदेश के सभी राम भक्तों को एक साल बाद भी उस वादे के पूरा होने का इंतजार है, जो राज्य सरकार की ओर से किया गया था. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सामाजिक संस्थाओं की ओर से प्रस्ताव दिए जाने के बाद शिमला की सबसे ऊंची पहाड़ी जाखू में भगवान श्री राम की मूर्ति स्थापित करने की बात कही थी. यहीं राम भक्त हनुमान की 108 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है. इसी के साथ भगवान श्री राम की 111 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित करने का प्रस्ताव है.
एक साल पहले ही शिमला शहर के विधायक हरीश जनारथा भी इस पावन कार्य के लिए एक लाख रुपए के साथ दान की शुरुआत भी कर दी थी. हालांकि अब तक नई मूर्ति स्थापना को लेकर कोई बड़ी हलचल नजर नहीं आ रही है.
सूद सभा को राज्य सरकार से उम्मीद
सूद सभा शिमला के अध्यक्ष राजीव सूद ने कहा है कि इस बारे में हिमाचल प्रदेश सरकार को बीते साल प्रस्ताव दिया गया था. राज्य सरकार की ओर से इसकी मंजूरी भी दी जा चुकी है. जाखू में भगवान राम की मूर्ति स्थापित करना लाखों भक्तों की आस्था से जुड़ा हुआ है. उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही सरकार इस संबंध में सकारात्मक के साथ आगे बढ़ेगी. बीते साल अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले सामाजिक संस्थाओं ने एक प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा था. इसमें 111 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित करने का प्रस्ताव है.
मूर्ति स्थापित करने पर कितना खर्च?
जानकारी के मुताबिक, जाखू में मूर्ति स्थापित करने के लिए जयपुर के कुछ बड़े कारीगरों से बात भी हुई है. सीमेंट से बनने वाली मूर्ति में करीब 3 करोड़ रुपये, जबकि कांस्य से बनने वाली मूर्ति में 18 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च आएगा. मूर्ति स्थापित करने के लिए धन आम लोगों से दान के जरिए जुटाया जाना है.
यहां मूर्ति स्थापित करने के लिए दो विकल्प दिए गए हैं. सीमेंट से बनने वाली मूर्ति 80 से 100 साल तक, जबकि कांस्य से बनने वाली मूर्ति करीब एक हजार साल तक रहेगी. अगर शिमला के जाखू मंदिर में भगवान राम की मूर्ति स्थापित की जाती है, तो यहां धार्मिक पर्यटन को पंख लगेंगे. साल 2010 में जब से जाखू में हनुमान जी की मूर्ति लगी है, तब से यहां आने वाले सैलानियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. ऐसे में यह धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है.
CM सुक्खू के वादे के पूरे होने का इंतजार
22 जनवरी 2024 को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शिमला के जाखू मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे थे. यहां उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ किया था. इसके बाद मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि हनुमान जी के बिना भगवान राम का जीवन अधूरा है. हनुमान जी ने अपना पूरा जीवन प्रभु श्री राम के चरणों में बैठकर उनकी सेवा में बिताया.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि उन्होंने जाखू में भगवान राम की मूर्ति स्थापित करने के निर्देश दिए हैं. सभी मंजूरी मिलने के बाद यहां मूर्ति स्थापित की जाएगी.
क्या है मंदिर का इतिहास?
शिमला में करीब 8 हजार 048 फीट की ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है. भगवान हनुमान का दर्शन करने के लिए न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं.
ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए, तो सुखसेन वैध ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना. अपने प्रभु भगवान श्री राम के आदेशों पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ चले.
इसी स्थान पर प्रकट हुई भगवान की स्वयंभू मूर्ति
हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया. भगवान हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया, लेकिन वापस लौटते समय भगवान हनुमान को देरी हो गई.
समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए. ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए.
भगवान हनुमान की चरण पादुका भी है मौजूद
इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया. ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा. दुनियाभर में आज इस मंदिर को जाखू मंदिर के नाम से जाना जाता है.
ये भी पढ़ें- शिमला के राम मंदिर में होगा 108 हनुमान चालीसा का पाठ, दोपहर बाद आयोजित होगी विशेष पूजा-अर्चना