CM Sukhu On Teachers Recruitment: देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में यह समस्या और भी विकराल है, क्योंकि यहां ज्यादातर युवा सरकारी नौकरी पर ही आश्रित रहते हैं. हाल ही में रोजगार के लिए गठित की गई सब कमेटी की बैठक के बाद जानकारी मिली है कि अब शिक्षा विभाग में अस्थाई आधार पर भर्ती होगी. इसे लेकर सब कमेटी के अध्यक्ष और उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान (Harshwardhan Chauhan) ने बयान भी दिया. हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग में स्थाई भर्ती की खबर सामने आते ही इसका चौतरफा विरोध होने लगा. बेरोजगार युवाओं के साथ विपक्ष भी सरकार पर हमलावर हो गया.


अस्थाई भर्तियों पर अब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि अध्यापकों की एडहॉक आधार पर नियुक्ति की खबरें गलत हैं. समाचार पत्रों में जो खबरें चलाई जा रही हैं, वे उसका खंडन करते हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में लंबे समय से शिक्षकों की कमी बनी हुई है. मौजूदा वक्त में सरकार इस समस्या को खत्म करने के लिए प्रभावी कदम उठा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग, बैच आधार पर भर्ती, पदोन्नति और स्टाफ के युक्तिकरण के माध्यम से ही शिक्षकों के खाली पड़े पदों को भरा जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार हिमाचल प्रदेश के बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है.


बैकडोर भर्तियों के पक्ष में नहीं है सरकार


हिमाचल प्रदेश के जनजातीय और दूर-दराज इलाकों में करीब 12 हजार शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं. सीएम सुक्खू ने कहा कि इन शिक्षकों की नियुक्ति पूर्ण रूप से मेरिट आधार पर और विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखकर होगी. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के अलावा अन्य सभी विभागों में नियुक्तियां पारदर्शिता के साथ होंगी. सरकार की यह सर्वोच्च प्राथमिकता है कि सभी भर्तियां पारदर्शिता के साथ हों. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार बैक डोर भर्तियों के पक्ष में नहीं है.


उद्योग मंत्री ने क्या कहा था?


बता दें कि बीते मंगलवार को राज्य सचिवालय में कैबिनेट सब कमेटी की बैठक के बाद उद्योग मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान ने बताया था कि हिमाचल प्रदेश में बिना साक्षात्कार लिए सिर्फ शैक्षणिक योग्यता के आधार पर हजारों अस्थायी शिक्षकों की भर्ती होगी. जनजातीय और दूरदराज क्षेत्रों के स्कूलों में दो या तीन साल के लिए यह नियुक्तियां होंगी. नीति के तहत राज्य कैडर की शिक्षा निदेशक और जिला की भर्तियां उपनिदेशक करेंगे.


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